गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव वंचित समाज के रहनुमा थे

आजमगढ़। दिवंगत पूर्व पालिकाध्यक्ष गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव की ग्यारहवीं पुण्यतिथि पर शनिवार को स्व0 श्रीवास्तव के कुर्मीटोला स्थित पैतृक आवास पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुये श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। यहां पर उपस्थित लोगों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुये उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।

 श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुये कलाम मास्टर ने कहाकि दिवंगत पूर्व पालिकाध्यक्ष गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव वंचित समाज के रहनुमा थे। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने कहाकि यह और भी अच्छी बात रही कि खुद सेवा के रास्ते पर चलते हुये उन्होंने अपने परिवार को भी ऐसा ही संस्कार दिया। यही वजह है कि उनकी पत्नी पालिकाध्यक्ष श्रीमती शीला श्रीवास्तव और उनके पुत्र समाज सेवी प्रणीत श्रीवास्तव "हनी" उनके दिखाये रास्ते पर चलते हुये समर्पित भाव से समाज की सेवा के कार्य में जुटे हुये हैं। डा0 अफजल ने कहा स्व0 गिरीश के साथ उनके गहरी दोस्ती रही। वह जब भी उनसे बात करते तब उनके बातों के केन्द्र में गरीब और वंचित समाज ही होता था। वह सोचते थे कि वंचित समाज के लिये अधिक से अधिक क्या और कैसे कर दिया जाये। उन्होंने कहाकि कभी-कभी तो ऐसा भी समय आया जब कोई करीब अपने बच्चे की शिक्षा या बेटी की शादी के लिये मदद को उनके पास पहुंच गया और उनके पास मदद करने इतना धन मौजूद नहीं था ऐसी स्थिति में वह दूसरों से कर्ज लेकर उस जरूरत मंद की मदद कर देते थे और उसे एहसास तक नहीं होने देते थे। समाज के प्रति उनकी यही समर्पण भावना उनको हमेशा गिरीश के और करीब करती चली गयी। समाज सेवी शाह शमीम ने कहा कि मौजूदा राजनीति से इतर हटकर गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव हमेशा समाज के हर तबके के लिये काम करते रहे। उन्होंने हमेशा विकास को अपना एजेण्डा बनाया। उनका यह मानना था कि यदि विकास कार्य हो जायेंगे तो आम आदमी को किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं होगी। वह कभी भी जाति धर्म की राजनीति नहीं किये। यहां तक कि जाति धर्म की राजनीति करने वालों को अपने करीब तक नहीं भटकने दिया। ओमप्रकाश मिश्रा एडवोकेट ने कहाकि शहर के हर परिवार के साथ गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव का पारिवारिक सम्बन्ध था। वह हर परिवार के किसी न किसी व्यक्ति को चेहरे के साथ-साथ नाम से पहचानते थे। यही वजह थी कि समूचा शहर उनको अपने परिवार का सदस्य मानता था। किसी के यहां शादी विवाह होने पर वह खुद परिवार के मुखिया के तरह से उपस्थित हो तो थे और बारात की अगवानी खुद किया करते थे। उन्होंने कहाकि गिरीश के निधन से समूचे शहर ने अपने परिवार का मुखिया खोया है। पालिकाध्यक्ष श्रीमती शीला श्रीवास्तव ने कहाकि यह तो सही है कि महिला होने की वजह से वह अपने पति जितना समाज के लिये नहीं कर पा रही हैं फिर भी उनकी यह कोशिश होती है कि वह अपने पति के दिखाये हुये रास्ते पर अधिक से अधिक चल सके। साथ ही अपने बेटे प्रणीत श्रीवास्तव हनी से वह हमेशा यह अपेक्षा करती हैं कि समाज के प्रति दायित्व निर्वहन में उनसे जो कमी रह जा रही है उसे वह पूरा करें। स्व0 गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव के पुत्र प्रणीत श्रीवास्तव हनी ने लोगों को यह भरोसा दिलाया कि वह जीवन पर्यन्त अपने पिता की दिखाये गये आदर्शवादी रास्ते पर चलते रहेंगे। इस अवसर पर सुबह पूरे परिवार ने पौधरोपण करके भी श्रद्घांजलि दी। कार्यक्रम में शिरकत के लिये उन्होंने सभी आगतजनों के प्रति आभार ज्ञाापित किया। इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख लोगों में राकेश श्रीवास्तव, डा0 आर एन श्रीवास्तव, किरन श्रीवास्तव, ओमप्रकाश मिश्रा, अवधेश श्रीवास्तव, महेश लाल श्रीवास्तव, एलके पाण्डेय, कैलाश बरनवाल, शैलेन्द्र त्रिपाठी,हैदर जमली, असगर मेंहदी, सुनील बाबा, रासिद पठान, भोला तिवारी, दीपक सिंह, राजू सिंह, आनन्द श्रीवास्तव, कैलाश लाल श्रीवास्तव, सदरूदïदीन खान प्रधान, नवीन श्रीवास्तव, महावीर श्रीवास्तव,सूरज जायसवाल, अरूण पाण्डेय, सुधीर अग्रवाल, महेन्द्र यादव,आनन्द देव उपाध्याय, महेन्द्र यादव आदि लोग रहे।

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