डा. क्षेम का जनपद की मिट्टी से रहा लगाव : ज्ञानप्रकाश

 जौनपुर। साहित्य वाचस्पति डा. श्रीपाल सिंह क्षेम ने जौनपुर की मिट्टी को गौरवान्वित किया है। उन्होंने साहित्य जगत में जनपद को ख्याति दिलायी। उक्त उद्गार महाराष्ट के पूर्व गृह राज्यमंत्री एंव वर्तमान में महाराष्ट भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने शेषपुरा मुहल्ले में स्थित क्षेम उपवन में डा. क्षेम की 99वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा के अनावरण पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किया। 

 उन्होंने कहाकि डा. क्षेम की कविताएं अत्यंत प्रेरणादायी होती हैं। पूर्व मंत्री ने डा. क्षेम की गीत रचना-नींदिया घरों से देखो धूपिया मुडेरा है, जभी से जगे रे भा ई तभी से सवेरा है प्रस्तुत करके लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि ने जिलाधिकारी मनीष वर्मा से क्षेम उपवन को अत्यंत सुंदर बनाने का अनुरोध किया ताकि लखनऊ, प्रयागराज और कुशीनगर जैसे दूरस्थ जनपदों के लोग इसे देखने आये। समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि दिनेश टंडन ने कहाकि वे क्षेम उपवन को सुंदरीकरण हेतु सदैव तत्पर रहेंगे। 
पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहाकि डा. क्षेम का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान रहा किन्तु उनके योगदान का सही मूल्यांकन आज तक नहीं हो सका। लखनऊ से पधारे पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने कहाकि डा. क्षेम जौनपुर जनपद ही नहीं अपितु पूरे उत्तर प्रदेश की पहचान थे। 
विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह को संबोधित करते हुए उद्योगपति एंव समाजसेवी ज्ञानप्रकाश सिंह ने कहाकि डा. क्षेम उच्च कोटि के विद्वान थे परंतु उनका जौनपुर की मिट्टी से अत्यंत लगाव था। उन्होंने मिट्टी की बोली में रचित गीत-मतमाता पपिहरा बोले रे का पाठ किया तो पूरा पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। 
समारोह की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी मनीष वर्मा ने कहाकि डा. क्षेम की प्रतिमा स्थापित होने से लोगों में साहित्य के प्रति लगाव उत्पन्न होगा। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। तदुपरांत डा. क्षेम की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया। जौनपुर में डा श्रीपाल सिंह क्षेम के प्रतिमा अनावरण समारोह में डा क्षेम की प्रतिमा पर माल्यापर्ण करते जिलाधिकारी मनीश कुमार वर्मा लोगों ने मूर्ति पर माल्यार्पण करके डा. क्षेम के शिष्य अरविंद कुमार सिंह बेहोश जौनपुरी की कृति-मै उषा के गीत लिख दूं का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। समारोह में डा. क्षेम के सुपुत्र शशिमोहन सिंह क्षेम ने देश की धूल भी चंदन से कम नहीं होती, कविता का पाठ किया तो साहित्य वाचस्पति श्रीपाल सिंह क्षेम की स्मृति ताजी हो गयी।

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