कर्मचारी सरकार की मंशा पर फेर रहे है पानी : डा. अनिल दुबे
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जौनपुर। राज्य सरकार द्वारा जनता को उत्तम स्वास्थ्य सुविधा देने के उद्देश्य से 102 व 108 नंबर की एम्बुलेंस गाड़ियां चलवाई जाती हैं।जहां इस व्यवस्था से जुड़े कर्तव्यपरायण कर्मचारियों की वजह से प्रदेश की जनता को लाभ मिल रहा है वहीं कुछ भ्रस्ट व संवेदनहीन कर्मचारियों की वजह सही समय पर एम्बुलेंस ना मिल पाने के कारण कुछ मरीजों को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ता है,एम्बुलेंस की उपलब्धता के बावजूद भी मरीज को सुविधा नहीं मिला पाती और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगते है उक्त बातों को लिखित रूप से हिन्दु युवा वाहिनी के जिलाध्यलश डा. अनिल दुबे ने जिले के मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ला को सौपा।
बता दें कि आज दिनांक 7 सितम्बर 2021 को गौराबादशाहपुर लपरी स्वास्थ्य केंद्र पर लगाई गई एम्बुलेंस UP 41 G 3664 केंद्र पर खड़ी देखी गयी जबकी GPS द्वारा उसकी लोकेसन शाहगंज में दिखाई दी जिसको एम्बुलेंस व्यवस्था से जुड़े अन्य कर्मचारियों द्वारा ट्रेस किया गया तो पता चला कि एम्बुलेंस का GPS सिस्टम स्वास्थ्य विभाग लिखे दोपहिया वाहन Hero के स्पुलेंडर प्लस UP 50 BF 6252 में था जिसे एम्बुलेंस का ड्राइवर सुनील साहनी चला रहा था। GPS के मोटरसाइकल में होने का कारण पूछने पर सुनील अन्य कर्मचारियों से विवाद पर आमादा हो गया,मामला शाहगंज कोतवाली पहुँचा तो कोतवाल द्वारा एम्बुलेंस और GPS के मामले को पुलिस से अलग बताते हुए मामले को रफा दफा कर दिया गया।
उक्त प्रकरण की जानकारी जीवनदायिनी 108-102 एम्बुलेंस संघ के जिलाध्यक्ष विजय सिंह द्वारा संगठन को दिया गया।
एम्बुलेंस व्यवस्था समाज के हर आम और खास व्यक्ति से जुड़ी बेहद महत्वपूर्ण व्यवस्था है इसमें किसी प्रकार की लापरवाही के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए और ना ही दुर्व्यवस्था फैलाने वालों के प्रति की सहानुभूति,चंद रुपयों के तेल की चोरी के लिए आम जनता के जान से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग करते हुए संगठन के जिलाध्यक्ष डा. अनिल दुबे व महामंत्री दीपक सिंह के नेतृत्व में बदलापुर तहसील अध्यक्ष अखण्ड प्रताप सिंह,बदलापुर नगर अध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह,सदर तहसील अध्यक्ष सिद्धार्थ मिश्रा,बद्रीनाथ भारद्वाज आदि ने
मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ला को ज्ञापन दिया।
ज्ञापन को गंभीरता से लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी द्वारा 10 सितम्बर तक जिला स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर निष्पक्ष जांच का आदेश जारी करते हुए संगठन कर्मियों को यह भरोसा दिलाया गया कि जाँच में दोषी पाए जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।