जद्दोजहद से जूझती लड़ती आगे बढ़ती बेटियां : डा पूनम श्रीवास्तव

सृष्टि के प्रारंभ से ही आधी आबादी सामाजिक व्यवस्था के आतंक से पीड़ित रही है। किसी भी नारी संबंधी उक्ति की आवश्यकता , उद्धार की आवश्यकता यह बताती है कि, उस प्रकरण पर लंबी अवधि से समाज के प्रति ध्यान नहीं दिया गया| अर्थात एक लंबी अवधि से नारी शोषण का शिकार रही। जन्म से पहले आगमन बेटे का देखा जाता है, और जन्म लेती है बेटियां|  जन्म लेने के बाद वह इतनी मोहक बाल लीला करती हैं कि ,सभी को अजीज हो जाती हैं| ऐसे ही जद्दोजहद से जूझती लड़ती आगे बढ़ती बेटियां _कभी-कभी कुछ ऐसी होती हैं जो अपना जीवन बिता ले जाती हैं, कुछ ऐसी होती हैं ,जो बीच में ही टूट जाती हैं , कभी कुछ ऐसी होती हैं जिनकी हत्या हो जाती है, कुछ ऐसी होती हैं जो आत्महत्या कर लेती हैं|, इतने उतार-चढ़ाव देखने के बाद लगता है कि, आज का सबसे जिंदा सवाल है- बेटियों को बचाना बेटियों को कायिक,मानसिक, सामाजिक, मजबूती कैसे दिया जाए यह सवाल बहुत ही जटिल परिस्थिति  उत्पन्न करने वाला है| इसका हल प्रबुद्ध वर्ग के पास ही है|

यद्यपि आज का समय स्त्री शिक्षा ,स्वास्थ्य, आदि को लेकर बहुत सचेत है फिर भी उतनी तेजी नहीं है, जितनी हमें चाहिए| स्त्री शिक्षा, स्वास्थ्य ,समानता को लेकर वर्तमान सरकार ही सचेष्ट है ,और इसका परिणाम सुखद होगा |अब निश्चित ही अहिल्या, द्रौपदी, सीता की व्यथा नहीं दोहराई जाएगी|
बेटी बचाओ__
आज तंत्र का बहुत ही सुंदर लक्ष्य है- बेटी बचाओ-  बेटी बचाई कैसे जाए ?या बेटी बेटा दोनों के प्रति भावगत समानता कैसे लाई जाये?यह सच मेंबहुत ही जटिल प्रश्न  है | आखिर क्यों?   मां की कैसी ममता है जो (सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक मजबूती को लेकर )अपनी औलाद की हंता बन जाती है बेटी संसार की बहुत ही खूबसूरत , ममता से सिक्त रचना है, उसकी उपेक्षा करके व्यक्ति स्वयं के साथ-साथ पूरे समाज को खोखला कर रहा है |
आज बेटी बचाओ का उद् घोष करने की आवश्यकता क्यों हो रही है ,उसका कारण है- कारण यह है कि आज लंबी अवधि से पीड़ा अन्याय सहते सहते ऐसी स्थिति आ  गई कि बेटी को जन्म लेने ही नहीं दिया जा रहा |बेटी रहेगी ही नहीं तोकहां से वह समाज को दिशा निर्देशित करेगी, संवेदना संपन्न करेगी ,ममत्व युक्त करेगी,जब उसका अस्तित्व ही संकट में है तो वह समाज को संवेदना ,ममता ,स्नेह से सिंचित करने में कैसे सफल हो सकेगी| पहले उसका अस्तित्व तो बचे|और उसे तभी बचाया जा सकता है जब उसके तेज सक्रिय अस्मिता से प्रकाशित स्वरूप को देखने का सामर्थ्य हम सभी में होगा |
वह तभी बच सकेगी|केवल प्रेम ,कृपा और सहानुभूति के बल पर उसे नहीं बचाया जा सकेगा |जब हम उसके तेजस मानस को महत्व देने लगेंगे तब हम बेटियों के साथ न्याय कर सकेंगे |बेटियों के जीवन रक्षा में सहयोग दे सकेंगे |क्योंकि चौक उपन्यास में खेरापतिन दादी नामक पात्र कहती है कि "जो स्त्री बेटी जनती है, मरते दम तक उसका मन हमेशा कांटो में उलझा रहता है ......पता नहीं कब संस्कारों परंपराओं के नाम पर बेटी की बलि दे दी जाएगी"
 बेटी बचाओ अभियान में अधिक से अधिक संख्या में प्रबुद्ध वर्ग को आगे आकर इस नेक काम में सहयोग करना चाहिए |आज भी अगर हम सक्रिय रहकर बेटियों के प्रति सभी के मन में सम्मान जगा सके तो एक पतन_गाथा बनने से रुक जाएगी| बेटी बचाओ योजना "नमो प्रकाशन "नाम से जानीजाए तो अत्युक्ति नहीं होगी ,क्योंकि बेटी बचाओ एक जीवंत जागरण संदेश है| यह संदेश हर दृष्टि से सृष्टि के लिए गुणकारी है |यह एक ऐसा उजास प्रकाश दे रही है जिससे समाज का शुद्ध रूप निखर कर सामने आ सकता है इस मशीनीकरण के युग में पहला सवाल है कि बेटी कैसे बचाया जाए फिर दूसरा सवाल आता है कि जन्म के तुरंत बाद समाज में उचित रीति से जीवन निर्वहन के लिए उसे सक्षम कैसे बनाया जाए इस जटिल इस सवाल का हल अत्यंत वाला समाज ही निकाल सकता है कहा जाता है__" कि तू जिंदा है तो जिंदगी की जीत पर यकीन कर "
पहले उसे जिंदा रखने का उपाय तो किया जाए जन्म लेने दिया जाए उसके बाद जिंदगी की जीत पर यकीन कर लेगी |इसके लिए हमें शिक्षा व्यवस्था देकर उसके मानस को शुद्ध करना होगा |उसे  शिक्षित , संकल्पित करना होगा कि, वह कभी भी किसी भी प्रकार के सामाजिक उतार-चढ़ाव से अपने जीवन को क्षति नहीं पहुंचाएगी आगे बढ़ती जाएगी|
बेटी पढ़ाओ__
ऐसी योजना बेटियों को अपनी कला कौशल वैज्ञानिक बुद्धि निखारने का अवसर दे रहा है शिक्षित बेटी सुयोग्य संवेदना सम्पन्न, सजग नागरिक बनेगी किसी प्रकार के छलावे में ना आ सकेगी | इसको ऐसा शिक्षा दी जाए ताकि वह स्वयं के अस्तित्व पर गर्व कर सके स्वयं के प्रति हीन ग्रंथि न पाले| ओ नारी  वेशभूषा पर गर्व करें ,अपने स्वरूप पर गर्व करें ,वह अपने आप को स्थापित करें|
 अपनी चेतना कल्याणकारी बनाए उसके शिक्षा उसके ममत्व के अनुकूल हो जिस किसी क्षेत्र में वह जाना चाहे वह हर प्रकार की शिक्षा व्यवस्था प्राप्त कर सके ऐसी सामाजिक व्यवस्था हमें देनी चाहिए |
कभी कभी दिशा देने के बाद भी आधुनिकता के नाम पर गलत दिशा में मुड़ जाती है| " मर्द औरत चरित्र में डालकर पुरुष मर्द नुमा बनती हुई नारी"(१)
 हमें कभी भी आधुनिकता के नाम पर पुरुष -वेश नहीं धारण करना है| पुरुष वर्चस्व वादी समाज में बने नियम में जब नारी भी पुरुष जैसा वेशभूषा धारण करने पर बल देती है तो, ऐसा करके वह पुरुष वर्चस्ववादी समाज में पुरुष को ही महत्व देती है| जैसे पुरुष स्वयं को महत्व देता है वैसे नारी को भी स्वयं को महत्व देना होगा| इसके लिए बहुत-बहुतही उदात्त मानसिकता की आवश्यकता है| यहां एक ऐसे चिंतन की आवश्यकता है जिसमें कुंठा ना हो बेटियों के संरक्षण के अभियान की आवश्यकता तब तक महसूस की जाती रहेगी, जब तक उसे समाज में समान महत्व नहीं दिया जाता| इस पुरुष वर्चस्ववादी सामाजिक संरचना में बेटियों का अस्तित्व संकट में है| आज का समाज नारियों के लिए वरदान स्वरूप है| समाज में बेटियों के उत्थान का अवसर मिल रहा है|
समाज के योग्य नागरिकों को इसके लिए नैतिक मूल्य का साहसिक अवसर मिल रहा है _समाज को आगे बढ़ाने, बेटियों का जन्म और जीवन उन्नति शील बनाने, आदि-तो बेटियों की स्थिति सम्मानजनक बनाने में सहयोग करना होगा |बेटियां चेतना प्रधान हैं |वह केवल देह नहीं हैं उन्हें चेतना के धरातल पर समझना होगा ,वह स्वप्न नहीं है हकीकत हैं| उन्हें पूरा सम्मान प्राप्त हो_ यह हमारा उत्तरदायित्व है| और यदि आज भी हम अपने समाज को सही दिशा निर्देश न दे सके तो हमारा जीवन व्यर्थ बीत गया |इस जीवन से विश्व के कल्याण की कामना की गई थी | यदि यह जीवन अपने राष्ट्र के समाज के ही काम ना सका आने वाली पीढ़ी को हम अपने क्रियाकलापों से क्या उत्तर देंगे?
निष्कर्ष_
निष्कर्षत:आज आत्म सजग आत्मा की नारी की आवश्यकता है,जो किसी छलावे में न आये|इसके लिए बेटी शिक्षा बेटी पढ़ाओ अभियान बेहद गुणकारी सिद्ध होगा| बेटी अमानवीय व्यवहारों से बच सकेगी इतना ही नहीं औरों का सम्बल बन सकेगी|आज क्रुद्ध चेतना की नहीं, एक सजग चेतना की आवश्यकता है जिसमें मानवता हो|आज अगर समाज सक्रिय होकर समानता ला दिया तो बहुत ही सुंदर समाज निर्मित होगा यही चेतना है हमें अतीत को कोसने से कुछ नहीं होगा वर्तमान में सजग रहना जरूरी है कहा जाता है कि_
"यदि तुम अतीत पर पिस्तौल से गोली चलाओगे,तो भविष्य तुम पर तोप से गोले बरसायेगा|"(२)

डा पूनम श्रीवास्तव असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग
सल्तनत बहादुर पी जी कालेज बदलापुर जौनपुर(बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में जौनपुर जिले से सह संयोजक)

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