सती प्रथा की तरह मृत्यु भोज भी है सामाजिक बुराई: डॉ करमचंद्र

 बक्शा। सिकरारा क्षेत्र के सिकंदरा गांव निवासी एवं दीवानी न्यालय के अधिवक्ता राहुल यादव के व उनकी भयोहू लालती यादव के निधन के बाद उनके पैतृक गांव सिकंदरा में आयोजित शोक सभा मे श्रधांजलि दी गई। दिवंगत अधिवक्ता के भाई कम्युनिस्ट नेता ऊदल यादव और परिवार के अन्य सदस्यों ने तेरहवीं न करने का फैसला लिया। श्रधांजलि सभा मे शामिल लोगों ने परिवार के इस फैसले की सराहना की। वक्ताओं ने तेरहवीं के कार्यक्रम को सामाजिक कुरीति बताते हुए कहा कि ऐसी परंपरा को बंद कर देना चाहिए। जिस परिवार की आंखों में आंसू है उसी परिवार में जाकर पूड़ी सब्जी और मिठाई जैसे पकवान खाने की परंपरा बंद होनी चाहिए। श्रधांजलि समारोह को संबोधित करते हुए समाजशास्त्री डॉ करमचंद्र यादव ने कहां कि मृत्यु भोज (तेरहवीं) ठीक वैसी ही सामाजिक कुरीति के समान है जिस तरह से पहले सती प्रथा का प्रचलन इसी समाज में था, लेकिन समय बीतने के साथ जब लोगों की तार्किक शक्ति बढ़ी तो उस प्रथा का विरोध शुरू हुआ और सती प्रथा बंद हो गई। उसी तरह से अब मृत्युभोज को भी बंद करने के लिए लोगों में सामाजिक चेतना पैदा करने के लिए एक अभियान चलाने की जरूरत है जिसकी शुरुआत हो चुकी है। इस मौके पर विधायक लकी यादव, मड़ियाहूं के पूर्व ब्लाक प्रमुख लाल प्रताप यादव, डॉ लाल रत्नाकर, सभाजीत यादव, अधिवक्ता डीआर यादव, दीवानी बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री जयप्रकाश सिंह, अनिलदीप चौधरी, अमित यादव, लालचंद यादव, राम आश्चर्य यादव आदि मौजूद थे। 

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