फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के विरुद्ध देश द्रोह का वाद दर्ज

 

जौनपुर। दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता विकास तिवारी के प्रार्थना पत्र अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय जौनपुर ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के विरुद्ध देश द्रोह का मामला प्रकीर्ण वाद के रूप में दर्ज किया है।तथा मामले में अग्रिम सुनवाई के लिए 29 नवम्बर की तिथि नियत की हैं।परिवादी विकास तिवारी की तरफ से अधिवक्ता द्वय अवधेश कुमार तिवारी व अवनीश कुमार चतुर्वेदी ने पक्ष रखा।


विकास तिवारी ने अपने प्रार्थना पत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराया‌ है कि पद्मश्री सम्मान से सम्मानित एक फिल्म अभिनेत्री द्वारा यह कहना की  "अब तक शरीर में खून तो बह रहा था लेकिन वो हिंदुस्तान खून नहीं था और जो भारत को आजादी मिली थी वो भीख में मिली आजादी थी,असली आज़ादी वर्ष 2014 में मिली हैं।और पुनः भारतीय समाज में राष्ट्रपिता की उपाधि से सुशोभित महामानव स्व. महात्मा गांधी को सत्ता का भूखा व लालची कहकर देश में अराजकता का माहौल पैदा करके देश द्रोह जैसा गम्भीर अपराध किया है। इसलिए देश व समाज के हित में कंगना रनौत को तलब कर दण्डित किया जाना चाहिए।

परिवादी मुकदमा विकास तिवारी के पक्ष को रखते हुए अधिवक्ता द्वय अवधेश कुमार तिवारी व अवनीश कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(क) में भारत के प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य की व्याख्या की गई है,भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को भारत के सभी लोग अपने हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें तथा भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्य रखें।भारत के सभी लोगों में समरसता और समान मातृत्व की भावना का निर्माण करें तथा हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे,लेकिन कंगना रनौत द्वारा टाइम्स नाउ नामक राष्ट्रीय चैनल के एक साक्षात्कार कार्यक्रम में वर्ष 1947 में मिली आजादी को भीख में मिली आजादी बता कर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(क) का उल्लंघन किया है जो एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।

वर्ष 1947 ई. में भारत देश को मिली आजादी को भीख में मिली आजादी बताना राष्ट्र व उसके नायको का अपमान हैं तथा हमारे संविधान का अपमान है,पद्मश्री सम्मान से सम्मानित भारत देश का यदि कोई भी व्यक्ति इस तरह की बयानी करता है तो वह राष्ट्र द्रोह की श्रेणी में आता है। फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत पद्मश्री सम्मान से सम्मानित होने के बाद देश की एक आइकन बन गई हैं लेकिन कंगना रनौत ने विधि द्वारा दिए गए निदेश के ढंग के बारे में जिस तरह का आचरण करना था उसकी अवज्ञा इस आशय से किया कि देश की आजादी के लिए कुर्बानियां देने वाले अपमानित हो समाज में उत्तेजना तथा उन्माद को बढ़ावा मिले।

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