ब्रह्मत्व से ही बचेगा हिन्दुत्वः पूर्व विधायक बाबा दुबे

जौनपुर 2 जनवरी 2022: अब समय आ गया है कि ब्रह्मादेश को लागू किया जाए। ब्रह्मादेश स्पष्ट है: अहंकारी सत्ता का #स्वाहा_होगा। 2022 के चुनाव में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। इस विशाल ब्रह्मण जनसभा में मौजूद ब्रह्म विद्वानों द्वारा यह स्पष्ट किया गया। अब राजनीति में एक बहुत बड़ा बदलाव होगा। ये उद्घोष ओम् श्री ट्रस्ट के ट्रस्टी पूर्व विधायक ओम प्रकाश ‘बाबा’ दुबे ने  बदलापुर तहसील के कड़ेरेपुर में आयोजित ‘ब्रह्मादेश समागम’ में किया। जनसभा की शुरूआत ब्राह्मण विद्वानों के शंखनाद से हुई। 


जनससभा को संबोधित करते हुए ओम प्रकाश बाबा दुबे ने कहा कि प्रदेश के ब्राह्मण समाज उत्तर प्रदेश की राजनीति का भविष्य तय करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि अब राजनीति में ब्राह्मणों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अब समय बदलाव का आ गया है, अब जो ब्रह्मादेश होगा उसे लागू किया जाएगा। ब्रह्मादेश सभी लोगों की बात करेगा ये हर वर्ग को साथ लेकर चलेगा। आज की सिर्फ बात ब्रह्मणों की नहीं बल्कि उन सभी वर्गों के लोगों की होगी जिनकी बात को आज के सत्ताधारी अनसुना कर देंते हैं। उन्होंने कहा कि अगर ब्राह्मण ही नहीं तो हिन्दुत्व को कैसे बचाओगे जिससे हिन्दुत्व और देश की संस्कृति पूरी तरह जुड़ी हुई है।

उन्होंने कहा कि जो लोग आज ये समझते हैं कि ब्राह्मण एकत्रित नहीं है या हो सकता है, उनको यह समागम ये ‘ब्रह्मादेश समागम’ देखना चाहिए। स्पष्ट उदाहरण है ब्राह्मणों ने 2007 में बासपा की सरकार बना दी, 2012 में सपा की और 2017 में भाजपा की बनाई। इसी को कहते हैं कि ब्राह्मण की एकता और ताकत जो अब भविष्य में बड़ा परिवर्तन दिखाएगी।

ओम प्रकाश ‘बाबा’ ने मौजूदा उत्तर प्रदेश की सरकार के गौ रक्षा के नारों पर कहा कि सरकार को देखना चहिए की प्रदेश में किस प्रकार की गौ रक्षा हो रही है और किस बुरी तरह से हमारी गौ माता की भूख से और सड़कों पर दुर्घटना से मृत्यु हो जाती है। इस हत्या का पाप तो भोगना पड़ेगा जिससे कोई बच नहीं सका है तो ये लोग कैसे बच जायेंगे। उन्होंने किसानों के हित की बात करते हुए गेहूं के समर्थन मूल्यों में वृद्धि किए जाने की भी बात कही। उन्हें कहा कि देश का किसान अन्नदाता नहीं बल्कि जीवन दाता है। 

ओम प्रकाश ‘बाबा’ दुबे ने बताया कि ‘ब्रह्मादेश समागम’ में होने जा रही घोषणाएं उनके और उनके “बाबा मित्र परिषद” समेत अन्य संगठनों से जुड़े हज़ारों-हज़ार सहयोगियों के तीन दशकों से भी अधिक समय से चलाए जा रहे कई निजी पहल एवं परिवार के धर्मार्थ, शैक्षिक, सामाजिक संस्थाओं व सामाजिक एवं राजनीतिक सक्रियता द्वारा नि:स्वार्थ मानवीय कल्याण युक्त विकास कार्यक्रमों की परिणति है। ओम् श्री लोकहित सप्तसमिति के सारथी अरुण दुबे ने कहा कि यह जनसागर रूपी ‘ब्रह्मादेश समागम’ अनन्त काल से ब्राह्मणों द्वारा सर्वथा लोकहित को ही स्वहित मानने के मूल सिद्धान्त का अनुसरण करते हुए गौरवशाली भविष्य के प्राप्ति पथ पर सर्वसमाज के हर वर्ग को समकक्ष लेकर अग्रसर होने का निर्णायक क्षण है।

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