प्रभु की इच्छा को सर्वोपरि मानना ही शाश्वत आनंद की प्राप्ति

 जौनपुर 15 फरवरी 2022 "शाश्वत आनंद की निरोल अवस्था को निरंतर कायम रखने के लिए प्रभु इच्छा को सर्वोपरि मानना होगा।"  यह जानकारी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने वर्चुअल रूप में आयोजित तीन दिवसीय 55 वें वार्षिक निरंकारी संत समागम समारोह में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशों को बताते हुए कहा। 

  सतगुरु माता जी के आशीर्वाद के साथ ही इस तीन दिवसीय संत समागम का सफलतापूर्वक समापन हुआ। समागम का सीधा प्रसारण मुंबई के चेंबूर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन से मिशन की वेबसाइट एवं साधना टी.वी चैनल पर किया गया जिसका आनंद विश्वभर के लाखों श्रद्धालु भक्तों ने प्राप्त किया। सतगुरु माता जी ने आनंद की अवस्था पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब हम इस निरंकार प्रभु परमात्मा से जुड़ जाते हैं तब भक्ति का एक ऐसा रंग हम पर चढ़ता है कि सदैव ही आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है इस आनंद में भक्त इस प्रकार से तल्लीन रहता है कि फिर किसी के बुरे शब्दों या व्यवहार का उस पर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता क्योंकि वह भक्ति द्वारा आनंद की अवस्था को प्राप्त कर चुका होता है।
  बहुभाषी कवि सम्मेलन
समागम के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण एक 'बहुभाषी कवि सम्मेलन' रहा जिसका शीर्षक- "श्रद्धा भक्ति विश्वास रहे, मन में आनंद का वास रहे था। इस विषय पर मराठी, हिंदी, पंजाबी, कोंकणी, अहिराणी, भोजपुरी एवं गुजराती आदि भाषाओं में कुल 18 कवियों ने कविताओं के माध्यम द्वारा अपनी भावनाओं को व्यक्त किया।
    इसके अतिरिक्त समागम के तीनों दिन विभिन्न भाषाओं में वक्ताओं द्वारा अपने विचारों का व्याख्यान गीत, भजन, कविता आदि विधाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया जिसमें अनेकता में एकता का सुंदर दृश्य एवं वसुधैव कुटुंबकम की अनूठी छवि दर्शायी गयी।
   संत समागम के समापन पर सतगुरु माता जी के दिव्य प्रवचनों द्वारा सभी श्रद्धालुओं ने विश्वास भक्ति का आनंद की अनुभूति प्राप्त की । साथ ही स्वयं को इस निरंकार से हर पल आत्मसार पाया जो इस संत समागम का मूल उद्देश्य था।

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