जेल में किया गया विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन

 जौनपुर।  उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एम0 पी0 सिंह के निर्देशों एवं अनुमति से कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शिवानी रावत द्वारा गुरुवार को जिला कारागार का निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।  

                निरीक्षण के दौरान महिला बैरक का भ्रमण किया गया। बन्दियों से मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में पूॅछताछ की गयी, बन्दियों द्वारा किसी समस्या की तरफ ध्यान आकृष्ट नही कराया गया। बन्दियों को विधिक एवं मौलिक अधिकारों की विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करायी गयी तथा बताया गया कि ऐसे बन्दी जो अपने वादों में पैरवी हेतु व्यक्तिगत अधिवक्ता करने में अक्षम है वे अपने मामलों में निःशुल्क पैरवी हेतु जेल अधीक्षक के माध्यम से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये जाने पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा मामलों में पैरवी हेतु निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान किया जायेगा। उन्हें बताया गया कि ऐसे सिद्धदोष बन्दी जो अपने मामलों में उच्च न्यायालय में अपील करने में अक्षम हों वह कारागार अधीक्षक के माध्यम से अपने प्रार्थना पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रस्तुत कर सकते हैं। अधीक्षक जिला कारागार को निर्देशित किया गया कि उपरोक्त प्रकार के प्रकरण संज्ञान में आने पर तुरन्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को अवगत कराना सुनिश्चित करें।
                  जेलर द्वारा बताया गया कि जिला कारागार में कुल 1106 बन्दी है, जिनमें 146 पुरूष तथा 5 महिला सिद्धदोष बन्दी हैं तथा 842 पुरूष तथा 46 महिलाएॅं एवं 37 अल्पवयस्क विचाराधीन बन्दी हैं। कारागार में निरूद्ध महिला बन्दियों के साथ कुल 09 बच्चे हैं। महिला बन्दियों के साथ रह रहे बच्चों के नाश्ता, भोजन आदि की उपलब्धता के सम्बन्ध में पूॅंछे जाने पर महिला बन्दियों द्वारा बताया गया कि बच्चों को समय से नाश्ता एवं भोजन उपलब्ध कराया जाता है किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। जेल अधीक्षक द्वारा यह भी बताया गया कि बन्दियों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण हेतु जिला चिकित्सालय से चिकित्सकों की एक टीम का गठन भी किया गया है जिनके द्वारा प्रत्येक बुधवार को बन्दियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है।
               ‘‘प्ली बारगेनिंग’’ के विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुए यह बताया गया कि ‘‘प्ली बारगेनिंग’’ के द्वारा दाण्डिक अभियोजन व पीड़ित पक्ष आपसी सामन्जस्य से आपराधिक प्रकरण के निपटारे हेतु न्यायालय के अनुमोदन से एक रास्ता निकालते है। भारतीय दाण्डिक न्याय व्यवस्था में इस सम्बन्ध में प्रावधान दण्ड प्रक्रिया संहिता संशोधन अधिनियम 2/2006 के द्वारा ‘‘प्ली बारगेनिंग’’ शीर्षक से एक नया अध्याय 21ए (धारा 265ए-265एल द0प्र0सं0) के नाम से जोड़ा गया था, सचिव के द्वारा यह बताया गया कि ‘‘प्ली बारगेनिंग’’ के तहत अभियुक्त को अपराध की स्वीकृति करने पर हल्के दण्ड से दण्डित किया जाता है जो कि अन्यथा कठोर हो सकता है। इसके तहत अभियुक्त कम सजा के बदले में अपने द्वारा किये गये  अपराध को स्वीकार करके पीड़ित व्यक्ति को हुए नुकसान और मुकदमें के दौरान हुए खर्चे की क्षतिपूर्ति करके कठोर सजा से बच सकता है। ‘‘प्ली बारगेनिंग’’ का लाभ ऐसे अपराधों में लिया जा सकता है जिसमें अधिकतम सजा 07 वर्ष से अधिक न हो, अपराध देश की सामाजिक, आर्थिक स्थिति को प्रभावित न करती हो ऐसे अपराध जो महिलाओं अथवा 14 वर्ष से कम आयु में बच्चों के साथ कारित न किये गये हो। समयपूर्व रिहाई के पात्र बन्दियों को चिन्हित कर उनके प्रार्थना पत्र तैयार कर नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रेषित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
             इस अवसर पर जेल अधीक्षक, जेलर एस0 के0 पाण्डेय, डिप्टी जेलर कुलदीप सिंह भदौरिया, राजकुमार सिंह, धर्मेन्द्र कुमार भदौरिया व श्रीमती माया सिंह, चिकित्सा अधिकारी डा0 रविराज, फार्मासिस्ट सतीश कुमार व आशीष मौर्य तथा जेल पी0एल0वी0गण व अन्य उपस्थित रहे।                   

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