मंदिर धक्का-मुक्की नहीं, आध्यात्मिक ऊर्जा व शान्ति का केन्द्र हैः डा. अजय दुबे

 जौनपुर। स्काउट गाइड रोवर्स रेंजर्स एवं स्वयंसेवकों द्वारा जनपद के विभिन्न धर्मिक स्थानों, सामाजिक स्थानों पर किये जा रहे निःशुल्क प्याऊ, मार्ग निर्देशन, बुजुर्गों के सेवा कार्य को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संयोजक एवं टीडी कालेज के बी.एड. विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा. अजय दुबे ने अत्यधिक प्रशंसनीय, नैतिकतापूर्ण, जीवन मूल्यों को सहेजने के साथ भारतीय मूल्य परम्परा एवं सामाजिक समरसता का कार्य बताया। साथ ही कहा कि वर्तमान में अधिकतर धार्मिक स्थलों में दर्शन-पूजन में शांति के स्थान पर श्रद्धालुओं के बीच धक्का मुक्की ज्यादा दिखाई देती है। इसका मूल कारण दर्शनार्थियों में धैर्य का अभाव है। मंदिरों के प्रशासक, व्यवस्थापक, पंडा, पुजारी आदि सुस्त हैं या फिर कर्तव्य के प्रति लापरवाह हैं। तभी तो मंदिर से सम्बंधित जानकारी, आरती का समय, मंदिर में दर्शन का समय, पट खुलने बंद होने का समय अंकित न होने से मंदिरों में धक्का-मुक्की एवं अव्यवस्था होती रहती है। उन्होंने कहा कि समस्त मंदिरों में स्पष्ट रूप से आरती का समय प्रातः काल, दोपहर, रात्रि एवं पट बंद होने का समय अंकित होना चाहिये। प्रवेश और निकास द्वार की समुचित व्यवस्था के साथ दर्शनार्थियों को भी धैर्य के साथ मंदिर में जाना चाहिये। आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा ग्रहण करनी चाहिये। सभी प्रशासक भी ध्यान दें कि वह मंदिर के बाहर, मंदिर खुलने-बंद और दर्शन करने के नियम को अवश्य अंकित करें।

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