मेरा गांव मेरी धरोहर एप के तहत गाँव की मिलेगी जानकारी
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जौनपुर। मेरा गांव मेरी धरोहर एप के जरिए अब कामन सर्विस सेंटर गांव के बिखरे धरोहरों को सहेजेगा। हर गांव का सर्वे कर धरोहर को केंद्र सरकार तक पहुंचाएगा। फिर हर गांव यानी उसकी धरोहरों को कोई भी कहीं से देख और जान सकेगा। इससे आने वाले समय में गांव की संस्कृति को नई पहचान मिलेगी।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत सीएससी कॉमन सर्विस सेंटर और केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार के साझा सहयोग से पहली बार यह कार्य किया जा रहा है जिसको मेरा गाँव मेरी धरोहर नाम दिया गया है।
जिले में इस योजना का ट्रायल बृहस्पतिवार को जिला प्रेक्षा गृह में किया गया।
कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) जिले के सभी गांव में जाकर धरोहर की जानकारी एकत्रित कर एप पर डालेगी। सर्वे के दौरान गांव के अपनी धरोहर, सांस्कृतिक विशेषता, रहन-सहन जिसमे गांव की मान्यताएं, पारंपरिक भोजन, पारंपरिक पोशाक, शिल्पकार, पारंपरिक आभूषण, के साथ गांव के मशहूर त्योहार के बारे में भी जानकारी देगी।
सभी सीएससी वीएलई को मेरा गांव मेरी धरोहर एप की ट्रेनिंग कॉमन सर्विस सेंटर के जिला प्रबंधक विजय गुलशन पांडेय व प्रेम नारायण सिंह के द्वारा दिया गया। सभी वीएलई को बताया गया कि ऐप के माध्यम से प्रत्येक गांव का डेटाबेस तैयार करें
मेरा गांव मेरी धरोहर के तहत प्रत्येक गांव के सांस्कृतिक विरासत को सहेजें और जिओ टैगिंग के माध्यम से गांव के कम से कम 5 लोगो का बातचीत करके जानकारी एकत्रित करें।
सीएससी जिला कोर्डिनेटर अनुराग सिंह ने बताया कि मेरा गाँव मेरी धरोहर से जो लोग गाँव के बारे में फेमस चीजो के बारे में नहीं जानते वो लोग सरकार के इस प्रयास से एक क्लिक से सारी जानकारी लेकर उनको देख सकते है।
वर्कशॉप के मुख्य अतिथि कॉमन सर्विस सेंटर के राज्य प्रमुख अतुलित राय रहें जिन्होंने अपने संबोधन में कहा की आज के समय मे किसी भी सरकारी सेवा हेतु सीएससी अग्रणी है और आज के समय मे सीएससी सरकारी सेवाओं के साथ-साथ अन्य ग्रामीण ई स्टोर में भी बहुत सारे प्रोडक्ट खरीद सकता है। वर्कशॉप में इन्सुरेंस हेड पियूष श्रीवास्तव, जोनल हेड अविनाश मिश्रा, व चार सौ से ज्यादा वीएलई ने प्रतिभाग किया।