नामी गिरामी मिठाई के दुकानदार बेच रहे है कैंसर, हाइपरटेंशन और अल्जाइमर बीमारी !
रजनीश राय सीआरओ |
मुख्य राजस्व अधिकारी ने बताया कि खाद्य समाग्री को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने से बचाने के लिए भारत सरकार ने सन् 2018 में राष्ट्रीय बॉयो केन्द्र पालिसी बनायी है यह मानक पूरे देश में प्रभावी है। यह राजपत्र में प्रकाशित हुआ है। उन्होने खेद प्रकट करते हुए कहा कि जनपद के व्यवसायिक इन मानको का पालन नही कर रहे है और भारत के खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की अधिसूचना का भी पालन नही कर रहे है। जबकि भारत के राजपत्र में यह स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है कि ऐसे वनस्पति खाद्य तेल जिसमें कुल टोटल पोलर कम्पाउण्ड 25 फीसदी से अधिक विकसित हो गया है उसका उपयोग नही किया जाय। क्योकि उनके उपयोग करने से मनुष्य को अनेक गम्भीर बीमारी होने की सम्भावना है। सीआरओं ने कहा कि किसी भी खाद्य तेल में तीन बार फ्राई करने पर तेल पोलर कम्पाउण्ड 25 प्रतिशत से अधिक हो जाता है। भारत सरकार ने यह व्यवस्था दिया है कि खाद्य तेल को तीन बार के बाद उपयोग न करके बल्की इस तेल से आरयूसीओं अभियान के तहत हरित ईधन बनाया जाय। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसी बनाई गई है कि एजेंसी नियुक्त की गई है। लेकिन दुकानदारो के असहयोग के कारण स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बनी आरयूसीओं अभियान परवान नही चढ़ पा रही है।
राजनीश राय ने साफ कहा कि स्थानीय स्तर पर बेनीराम इमरती के नाम पर प्रसिध्द प्रतिष्ठान है इसके भी अधिष्ठाता आरयूसीओ अभियान के अतंर्गत अत्यधिक खाद्य कारोबारी के रूप में माने जाते है,लेकिन इन लोगो द्वारा एफ एस एस ए आई के दिशा निर्देशों का पालन नही किया जा रहा है और कुकिंग आयल के रूप में जो इमरती तली जाती है तथा जो तेल जल जाता है उसकी जगह जले तेल में पुनः नया तेल मिला दिया जाता है। जबकि पुराने तेल में टोटल पोलर कम्पाउण्ड 25 प्रतिशत से अधिक हो जाते है। जो मानव जीवन के लिए हानिकारक है। उन्होने दुकानदारो से अपील किया कि वे लोग मिठाई के नाम पर जहरीली वस्तु न बेचे।
हालांकि उन्होने बेनीराम की शाही पुल वाली दुकान पर काफी हद तक मानक का पालन करने बात कही है। उधर बेनीराम के सभी प्रतिष्ठान के अधिष्ठाता अपनी दुकान पर केवल देशी घी से निर्मित समान बेचने का दावा करते है।