अनुशासन के चाबुक से कफ सिरप की अवैध बिक्री पर लगाम की कोशिश
कोडीन युक्त कफ सिरप निर्माता कंपनी को लिखे गए पत्र में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है की कोडीन युक्त कफ सिरप की खेप मार्केट में भेजते समय उन्हें स्थानीय खपत की व्यवहारिक जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए और अपने डीलर से सप्लाई की गई पिछली खेप का विवरण एकत्र कर विभाग को उपलब्ध कराना चाहिए। परिपत्र में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे कोडीन युक्त कप सिरप कंपनी के डीलर से सीधे सिर्फ फुटकर विक्रेता को ही बेचा जाए ।न कि एक होलसेलर दूसरे होलसेलर को। जिससे मरीजों को दवा के रूप में यह मिलता रहे और इसकी अवैध इस्तेमाल को रोका जा सके। इसी क्रम में जारी निर्देश के अनुसार अब दवा निर्माता अपने डीलर को एक बार में 1000 शीशियों से ज्यादा मात्रा की सप्लाई नहीं कर सकेंगे। डीएलए वाराणसी नरेश मोहन दीपक ने चेतावनी दी है इस निर्देश को न मानने वाले निर्माताओं और दवा विक्रेताओं के विरुद्ध एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 और एनडीपीएस एक्ट के तहत वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। इस पत्र की प्रति जिलाधिकारी जौनपुर समेत मंडल के सभी जिलाधिकारियों के सूचनार्थ प्रेषित की गई है साथ ही ड्रग इंस्पेक्टर जौनपुर समेत मंडल के सभी जिलों के औषधि निरीक्षकों को आदेश के क्रियान्वयन के लिए कहा गया है।
गौरतलब है कि जनपद जौनपुर प्रतिबंधित श्रेणी के कोडीन युक्त कप सिरप के व्यापार के लिए कुख्यात रहा है । सन 2021 की जनवरी में जनपद के शाहगंज स्थित एक ट्रांसपोर्ट के गोदाम से 65000 से भी ज्यादा कोड़ीनयुक्त कफ सिरप की शीशियाँ एसटीएफ वाराणसी और एक्साइज की संयुक्त छापेमारी के दौरान बरामद हुई थी। जिसके लिए अनुमान लगाया जा रहा है यह है पश्चिम बंगाल बॉर्डर से बांग्लादेश भेज जाने के लिए रखी गई थी ।इसके अतिरिक्त जनपद में युवाओं द्वारा बड़ी मात्रा में नशे के लिए कोडीनयुक्त कफ सिरप का इस्तेमाल किया जाता है। नगर और ग्रामीण अंचलों में कुछ फुटकर दवा व्यवसाय इस अवैध बिजनेस में लिप्त हैं।