देश की उन्नति और विकास का आयाम है नई शिक्षा नीति: डॉ जे पी दुबे

 जौनपुर। जुलाई माह से महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय शैक्षणिक सत्र का प्रारंभ होगा एवं नई शिक्षा नीति की उपयोगिता एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास के पक्ष विपक्ष पर पत्रकार संगोष्ठी के माध्यम से अपना विचार रखते हुए मड़ियाहूं पीजी कॉलेज जौनपुर के बीएड विभागाध्यक्ष डॉ जेपी दुबे ने कहा कि भारत में शिक्षा जगत के इतिहास में यह सबसे बड़ा बदलाव किया गया है। मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय के द्वारा नई शिक्षा नीति पेश की गई है , भारत की यह नई शिक्षा नीति इसरो प्रमुख डॉ कस्तूरीरंजन की अध्यक्षता में की गई है शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। 

उच्च शिक्षा के लिए भी अब सिर्फ एक नियामक होगा। पढ़ाई बीच में छूटने पर पहले की पढ़ाई बेकार नहीं होगी। एक साल की पढ़ाई पूरी होने पर सर्टिफिकेट और दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा।और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू किया गया है। आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। यह छात्रों के हित में एक बड़ा फैसला है। 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है और शोध में नहीं जाना है। वहीं शोध में जाने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी। 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में MA कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति के मुताबिक यदि कोई छात्र इंजीनियरिंग कोर्स को 2 वर्ष में ही छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। इससे इंजीनियरिंग छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी।

 पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा। एमफिल को खत्म किया जाएगा और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एक साल के बाद पढ़ाई छोड़ने का विकल्प होगा। नेशनल मेंटरिंग प्लान के जरिये शिक्षकों का उन्नयन किया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के कॉलेजों, विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के बारे में शिक्षकों, छात्रों, अधिकारियों एवं उच्च शिक्षा प्रणाली के अन्य पक्षकारों के बीच जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से इस विषय पर विभिन्न गतिविधियों को विश्वविद्यालय गतिविधि निगरानी पोर्टल पर साझा करने को कहा गया है। इस पोर्टल की देखरेख आयोग करता है। इस नीति से बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा।

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