जौनपुर का एक गाँव ऐसा भी जहाँ शहर से बेहतर होता है दवा और इलाज

 

जौनपुर।  एक ऐसा गांव जहां आवागमन की अच्छी सुविधा नहीं है फिर भी  वहां के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रहीं हैं। यह उपलब्धि हासिल की है बेहड़ा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ने । यह सेंटर थानागद्दी से चार किलोमीटर दूर है। थानागद्दी से दो किमी मुड़ैला तक के लिए आटो मिल जाएंगे, बाकी का रास्ता निजी वाहन से या पैदल ही तय करना पड़ेगा। केराकत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय सिंह बताते हैं कि क्षेत्र के बेहड़ा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर पहुंचने के लिए अपना साधन न हो तो दिक्कत हो सकती है लेकिन गांव में ही ज्यादातर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल जाएंगी।  


    वर्ष 2021 की बात है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बेहड़ा पर प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के दौरान ईंट-भट्ठे पर काम करने वाली एक महिला के गर्भवती होने का पता चला। उस समय उसका वजन मात्र 35 किलोग्राम था। उसका कार्ड बनवाकर हीमोग्लोबीन की जांच कराकर आयरन, फोलिक एसिड देकर लगातार इलाज कर उसे स्वस्थ बनाया गया। मार्च 2021 में केंद्र पर ही उसे बेटा पैदा हुआ। प्रसव के बाद भी दो महीने तक जच्चा-बच्चा की जाँच  और इलाज का पूरा ख्याल रखा गया । दो महीने बाद वह अन्य मजदूरों के साथ रांची चली गई। यह एकमात्र मामला नहीं है। ऐसे प्रसव के और भी लाभार्थी हैं जो यहां से स्वस्थ होकर अपनी संतान के साथ खुश होकर गये।

   जब महिला ने पी लिया सिंदूर : बुधवार (आठ जून) को एक महिला यहाँ आई। उसने सिंदूर घोलकर पी लिया था। उसका ब्लड प्रेशर तथा पल्स दोनों बढ़े हुए थे। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) सुधांशु पांडे ने उसे नार्मल सलाइन पिलाया लेकिन उसे उल्टी नहीं हुई। उसके बाद नमक-पानी का घोल पिलाया तो उल्टी होने लगी। उल्टी होने के आधे घंटे बाद भी उसे रोके रखा। जब ब्लड प्रेशर  और पल्स सामान्य हो गये तब उसे जाने दिया। एक-डेढ़ घंटे में ही वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर लौट गई। 

   35 हजार कोवैक्सीन डोज: 26 मई 2021 तक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बेहड़ा में 80 लोगों को कोविशील्ड की डोज लग चुकी थी। सीएचओ की सक्रियता देख चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय सिंह ने बेहड़ा में 11 जून 2021 से कोवैक्सीन का वैक्सीनेशन सेंटर (सीवीसी) खुलवा दिया। इस  जिम्मेदारी को भी बखूबी निभाया गया और सालभर में ही 35,000 के लगभग कोवैक्सीन की डोज से क्षेत्र को लाभान्वित किया गया। कोविड वैक्सीनेशन के लिए यहां दूर-दराज के गांवों, दूसरे ब्लाकों और जिलों से भी लाभार्थी आते हैं।

    बीपी-शुगर का इलाज:   17 अक्टूबर 2019 को जौनपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के पहले बैच में नियुक्त 28 सीएचओ में सुधांशु पांडे भी थे। नियुक्ति के बाद उन्होंने क्षेत्र की छह आशा कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर सम्पर्क कर लोगों को बेहड़ा में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर होने तथा वहां पर उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। तभी उन्हें एहसास हुआ कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में ऐसे शुगर और ब्लड प्रेशर (बीपी) के रोगी हैं जिन्हें अपने रोग के बारे में जानकारी नहीं है। यह ऐसे लोग थे जो शहर या केराकत जाकर जांच और इलाज करवाने में सक्षम नहीं थे। उन्होंने ऐसे लोगों की स्क्रीनिंग करने का निर्णय लिया। संभावित शुगर मरीजों की एक सप्ताह स्क्रीनिंग करवाई। कभी उपवास तो कभी खाना खिलाकर जांच कराई और 92 शुगर के मरीज चिह्नित किए। इसी तरह से स्क्रीनिंग कर 106 बीपी के रोगियों का पता लगाया। चिह्नित करने के बाद उन्हें हायर सेंटर रेफर किया। वहां से लिखी गई दवाएं उन्हें अपने ही हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर उपलब्ध कराकर उन्हें सामान्य जिंदगी जीने में सक्षम बनाया।

  लक्ष्य से अधिक स्क्रीनिंग: गांव की आबादी 6,750 है। इसमें से 30 वर्ष से अधिक उम्र के 2,623 लोगों की स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य मिला था। अभी तक वह 30 वर्ष से कम तथा 30 वर्ष से अधिक उम्र के 2,096 लोगों की स्क्रीनिंग कर पोर्टल पर अपलोड कर चुके हैं जबकि 30 वर्ष से अधिक उम्र के 1,391 लोगों की स्क्रीनिंग कर पोर्टल पर लोड कर चुके हैं। इन लोगों में 283 लोगों को पोर्टल के माध्यम से उच्च सुविधाओं के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 14 लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेज चुके हैं। 

   बेहड़ा में 17 अक्टूबर 2019 को यह हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बना है। तब से आठ जून 2022 तक 4,069 वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) के तहत मरीज देखे जा चुके हैं। इस समय प्रतिदिन 15 से 20 लोग ओपीडी में देखे जाते हैं। 

  बेहड़ा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर जोड़ों के दर्द, लूज मोशन, पेट दर्द, एलर्जी, शुगर और बीपी के रोगी ज्यादा आते हैं। ज्यादातर यहीं पर स्वस्थ हो जाते हैं। गंभीर मरीजों के लिए सीएचसी रेफर कराकर वहां पर लिखी दवाएं यहां चलाई जाती हैं। 

लाभार्थी भी खुश:

बेहड़ा के ही खिरकवा पूरा की कान्ती (70) को शुगर है। उनका बीपी कम  रहता है और सिर में दर्द रहता है। उन्हें घबराहट भी होती है। सीएचओ ने नियुक्ति के बाद आशा कार्यकर्ता आरती के साथ घर-घर जाकर सेंटर पर मिलने वाली सुविधाओं का फायदा उठाने के लिए लोगों से कहा था। इसलिए कान्ती आती हैं। कान्ती ने बताया कि केराकत जाने में भाड़ा खर्च होता है जबकि यहां पर ही उन्हें सारी सुविधाएं मिल जा रही हैं। यहां मिलने वाली सुविधाओं से वह खुश हैं। 

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