अंग्रेजी हुकुमत ने राजाराम शुक्ला के सर पर रखा था एक हजार रूपये इनाम

 सरायख्वाजा,जौनपुर। जिले में भी एसे आजादी के दीवाने थे जिन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, यातनाएं झेली पर कभी उफ्फ तक नही किया लक्ष्य सिर्फ देश को आजाद करना ही रहा अंतिम समय तक। उसी देशप्रेम की एक अनोखी झलक जिले के मंगदपुर ,पो. सैदपुर (गऊर) थाना सरायख्वाजा, जिला जौनपुर में देखी गई थी, आज वही सुनने को मिलती है। 

उक्त गांव की मिट्टी में सन 1915 ई. को जन्मे व 28,02,1996 ई. को देश को अलविदा कहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. राजाराम शुक्ला थे जो देश की आजाद के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। अगर यह एक लाईन कि बात " ( न जिने की तम्मना, न मरने के बहाने, धन्य हो मां भारती, तुम्हारे लिए हंस कर जान पे खेल गए, एसे थे तेरे दीवाने!") सुनील मिश्रा द्वारा लिखी चंद पंक्तियों की बात करें तो देश भक्त देश प्रेमी तथा आजादी के दीवानो के लिए बहुत कम है। भारत देश के लिए सच्चे प्रेमियों ने वह करके दिखाया जो सुनने पर रूह कांप उठती हैं। 

उस समय आजादी की बात कर देना गुनाह होता था पर देश के दीवानों ने तो सर पे कफन बांध कर देश आजाद करने निकल पड़े थे। उन्ही वीर सपूतों में एक थे जौनपुर के सरायख्वाजा क्षेत्र के मंगदपुर गांव के पं. राजाराम शुक्ला जिन्होंने अंग्रेजी हूकूमत के छक्के छुड़ा दिए थे उनका जिना हराम कर दिया था। चार बार कई सालों के लिए कारावास हो गई थी। पर इनकी देश के प्रति दीवानगी से अंग्रेज इतने त्रस्त थे कि इन्हें पुनः पकड़ने के लिए घर पर सैकड़ों बार दबिश दी पर इन्हें पकड़ न सकी तो दर्जनों बार समूचे घर को आग के हवाले कर दिया सारा सामान और गृहस्थी नष्ट कर दिया, घर की औरते मां बाप बेघर होते रहे पर इन्होंने आजादी की लडाई नहीं छोड़ी । यह सब से भी अंग्रेज संतुष्ट नहीं हुए और पकड़ से दूर आजादी की आग को फैलाने में अहम भूमिका देख उन्हें   पकड़वाने के लिए अंग्रेजी हुकुमत ने  एक हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखे थे। पर फिरंगी कुत्तों जैसी दुम दबाए बेरंग लौटते और खोजते रह गए। 

अंत: महात्मा गांधी से अंग्रेजी हूकूमत ने इनको समर्पण करवाने के लिए मजबूर किया तो गांधी के कहने पर इन्होंने समर्पण किया। पंडितजी को  कई कोड़ो का दंड और सश्रम आजीवन कारावास की सजा दी गई। कुछ ही समय के पश्चात भारत आजाद हुआ तब इन्हें स्वतंत्रता मिली। भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में इन्हें सम्मान पत्र देकर विशिष्ट पहचान दिया। 

इनके अच्छे दोस्तों में सिकरारा क्षेत्र के जिले की विशिष्ट पहचान रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. सूर्यनाथ उपाध्याय (पूर्व विधायक) महराजगंज ब्लाक के लमहन निवासी वीरता पुरस्कार पानेवाले पं. उमानाथ मिश्रा, तथा भागीरथी मिश्रा इन्हीं की तरह शेरे दिल रखनेवाले काफी संख्या मे लोग रहे। लगभग 45 व 50 साल देश की सेवा में परिवार से विरक्त रहे आजादी के पश्चात दो पुत्र रत्न हुए पहले पुत्र के रूप में राजेश शुक्ला थे जो विजनेस का कार्य करते हैं ।और दुसरे पुत्र के रूप में आचार्य रमेशचंद्र शुक्ला जी हैं जो नाम व पहचान के मुहताज नही है बल्कि एक सरल सहज मृदुभाषी ब्यक्तित्व के चलते जिले से लेकर पूर्वांचल में एक अलग पहचान बनाए हैं तथा अन्य प्रदेश व जिले के लोगों में विशेष पहचान रखते हैं। आचार्य जी ज्योतिष शास्त्र व कर्मकांड के प्रकांड विद्वान के साथ साथ एक अच्छे ब्यक्तित्व के साथ ही जनसहयोग की प्रतिमूर्ति हैं। अच्छे ग्यानी होने के चलते ,राजनीतिक दल के लोग, अधिवक्ता गण, पत्रकार गण ,स्वास्थ्य क्षेत्र के लोग, उद्योग ब्यापारजगत व जानी मानी हस्तियां दिल से इज्ज़त देते हैं विशेष अवसरों पर आने के लिए आग्रह करती हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. राजाराम शुक्ला अपने पिछे एक अच्छा भरापूरा संपन्न शिक्षित परिवार छोड़ा है जो उनके आदर्शों की खुशबू का एहसास करते हैं।

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