गोद लिए पेशेंट को पौष्टिक आहार किट वितरण एवं जागरूकता
इस मौके पर टीबी हॉस्पिटल के एसटीएस नवीन कुमार सिंह ने कहा कि टीबी के किसी भी लक्षण वाले व्यक्ति की बलगम की एक खाली पेट तथा 6 घण्टे के अंतराल पर दूसरे नमूने की माइक्रोस्कोप से जांच करते हैं। जांच में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस होने पर उसका इलाज शुरू करते हैं। टीबी की जांच व इलाज सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपलब्ध है। डीपीसी सलिल कुमार यादव ने कहा कि डीआर टीबी से ग्रसित मरीज के खांसने व थूकने से उसके जीवाणु से दूसरे व्यक्ति को भी डीआरटीबी हो जाती है। मरीज को डाक्टर की सलाह के अनुसार पूरा कोर्स अवश्य करना चाहिये। बीच-बीच में इलाज नहीं छोड़ना चाहिये। ऐसा करने पर मरीज की हालत खतरनाक हो सकती है तथा ज्यादा बिगड़ सकती है। इस अवसर पर प्रवक्ता सुबाष कुमार चौधरी, मनीष सोनी, अतुल कुमार श्रीवास्तव, प्रवेश कुमार मौर्य, सुरेश शुक्ला, रंजना शुक्ला, पत्रकार दीपक श्रीवास्तव, मोहम्मद समीर, शकुंतला देवी आदि उपस्थित रहे। संस्था के सचिव व पूर्व अध्यक्ष बाल न्यायालय संजय उपाध्याय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।