पुनः उजड़ने लगा पक्का पोखरा हुसेनाबाद का चमन, पांच करोड़ की लागत से किया गया था कायाकल्प

जौनपुर। पांच करोड़ 18 लाख रूपये खर्च करके हुसेनाबाद पक्का पोखरा किया गया कायाकल्प दस महीन में तहस नहस हो गया। पहली ही बारिश में ही तालाब के किनारे बनायी गयी दिवारे ढह गयी, पर्यटको के बैठने के लिए रखी गयी कुर्सियां टूट गयी, आधे से अधिक लाईटे जलना बंद हो गया, फौव्वारा भी काम करना बंद कर दिया, सरोवर के पानी को हरी कायी ने अपने आगोश में लेकर गंदा कर दी और चारो तरफ झाड़ झखाड़ उग आये है। अब यहां पर मनोहरी दृश्य नजारा लेने के लिए आने वाले लोग अपने आपको ठगा से महसूस कर रहे है। सभी ने कहा कि यह योजना भी भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गयी। 

डीएम आफिस से चंद कदम की दूरी व आला हाकिमों के आवास के बीच स्थित हुसेनाबाद पक्का पोखरा के कायाकल्प की शुरूआत सपा सरकार में 2016 में शुरू हुआ था। शुरूआती दौर से ही इस योजना में भ्रष्टाचार का आरोप लगने लगा। कार्यदायी संस्था सीएनडीएस ने कई ठेकेदार बदले इसके बाद भी भ्रष्टाचारयुक्त कार्य होता रहा। फिलहाल किसी तरह से पांच करोड़ 18 लाख की लागत से यह परियोजना अक्टुबर 2021 को पूर्ण हुआ। 

18 दिसम्बर 2021 नगर विधायक व राज्यमंत्री आवास एवं शहरी नियोजन विभाग गिरीश चंद्र यादव ने लोकार्पण किया। 

डद्घाटन के बाद नगर वासियों को नयी सौगात मिल गया था शाम होते ही इस तलाब के सौदर्य का नजारा लेने के लिए नगर वासियों की आमद शुरू हो जाती थी देर रात तक यह इलाक गुलजार रहने लगा। लेकिन मात्र दस महीने में सरोवर की सुंदरता धीरे धीरे खत्म होने लगी है। तालाब के ऊपर हिस्से पर गंदे पानी को रोकने के लिए खड़ी की दिवार ढह गया, तालाब की मेन दिवारे फट गयी। लाईटें जलना बंद हो गयी है तथा पोखरे बीच में लगा फौव्वारा भी बंद हो गया, जनता को बैठने के लिए लगायी कुर्शियां टूट गयी। सड़के जगह जगह धस गयी। 

यहां पर प्रतिदिन टहलने के लिए आने वाले अभिषेक ने बताया कि जब इस तलाब का सौदर्यीकरण हुआ था उस समय यहां स्वर्ग जैसा नजारा दिखता था लेकिन कुछ ही दिन बाद एक एक करके लाईटें बंद होेने लगी आज यहा पचास प्रतिशत ही लाईटे जलती है, फौव्वारा काम करना बंद कर दिया। पहली बारिश में दिवारे ढह गयी। 

इस सरोवर के किनारे रहने वाले अवधेश चंद्र भारद्वाज ने बताया कि यह कार्य शुरूआती दौर से भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया था। घटिया मैटेरियल के प्रयोग के कारण इसकी यह हालत हुई है। उन्होने बताया कि तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह ने कार्यदायी संस्था सीएनडीएस के अधिकारियों से कहा था कि तालाब से गंदा पानी निकालकर साफ पानी भरने के बाद ही इसका उद्घाटन करवाना उसके बाद भी गंदे पानी में ही इसका उद्घाटन हो गया। उद्घाटन होने के बाद भी यहा बनाये गये शौचालय नही खोला गया। पहली बारिश में दिवारे ढह गयी जनरेटर आया हुआ है लेकिन आज तक चलाया नही गया। सड़क जगह जगह धस गयी है।  



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