बिना बी टेक किये चिड़िया बनाती हैं कमाल का घोंसला

आगे पूछने पर कि इन्होंने घोंसले के लिए बबूल का पेड़ क्यों चुना तो वह कहते हैं कि कंटीले पेड़ों पर घोंसला बनाना ये चिड़िया अधिक सुरक्षित समझती हैं क्योंकि इन पर सर्प ,मगरगोह आदि आसानी से नहीं चढ़ पाते हैं।यह पूछे जाने पर कि गांव में बहुत से बबूल के पेड़ हैं लेकिन इसी छोटे बबूल के पेड़ को उन्होंने क्यों चुना इस सम्बन्ध वह गम्भीर होकर कहते हैं कि यह पेड़ पानी के बीचों बीच है ।पेड़ तक आसानी से जानवर या आदमी नहीं पहुंच सकते हैं इसीलिए इन्होंने इस पेड़ को प्राथमिकता के आधार पर चुना है, इनके घोंसले इतने मजबूत होते हैं भले ही पेड़ की टहनियां टूट जाये पर घोंसले इतने आसानी से टूटने वाले नहीं हैं। एक छोटी सी हल्के पीले रंग की सामाजिक चिड़िया जो सदैव झुण्ड में रहती हैं तकनीकी, पारिवारिक सुरक्षा और आपसी भाईचारे के लिये हम इन्सानों को युगों- युगों से सोचने पर मजबूर करती आ रही है।हम इंसानों की सिविल इंजीनियरिंग जितनी ऊंची उठती गई हमारी सोशल इंजीनियरिंग उतनी ही नीचे गिरती गई, अकेलापन बढ़ता गया और इन छोटी सी चिड़िया की सिविल और सोशल इंजीनियरिंग आज भी बुलन्दी पर बनी हुई है।
avashya bhaiya
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