भारतीय ज्ञान प्रणाली में शिक्षक का योगदान महत्वपूर्ण: डॉ. सत्य प्रकाश

 

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन भारतीय ज्ञान प्रणाली में शिक्षक का योगदान विषय पर पैनल चर्चा आयोजित किया गया। 

चर्चा के आमंत्रित वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. सत्य प्रकाश पाल ने शिक्षक की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।  डॉ. पाल ने वैदिक काल से प्रारंभ कर वर्तमान में शिक्षक की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया की किसी भी समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण होती है जैसा कि चाणक्य ने स्पष्ट कहा है “शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में पलते हैं।” समाज में शिक्षक की महत्ता को रेखांकित करते हुए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने लिखा है कि “समाज में अध्यापक का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को बौद्धिक परम्पराएँ और तकनीकी कौशल पहुंचाने का केंद्र है और सभ्यता के प्रकाश को प्रज्वलित रखने में सहायता देता है।” कोठारी आयोग ने भी अध्यापकों को ‛राष्ट्र-निर्माता’ की संज्ञा दी है।

कार्यक्रम के दूसरे वक्ता चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद हरियाणा के प्रोफेसर संजय कुमार सिन्हा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति  के विभिन्न प्रावधानों के बारे में विस्तार से चर्चा की। प्रोफेसर सिन्हा ने बताया कि किस तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से पाठ्यक्रम शिक्षण तथा मूल्यांकन में आमूल चूल परिवर्तन होने जा रहा है इस कारण से कई सारी चुनौतियां भी उत्पन्न होंगी, जिनका निदान सही से करने पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रबंध अध्ययन संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो अविनाश पाथर्डीकर ने मूल्य और चिंतन आधारित भारतीय ज्ञान परंपरा पर विस्तार से चर्चा की। प्रो अविनाश ने बताया कि प्राचीन भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत एवं प्रगति का मूल आधार शिक्षा ही थी । प्राचीन भारतीय शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास था ।व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास में उसके चारित्रिक विकास तथा आध्यात्मिक विकास का उद्देश्य ही सर्वप्रमुख था । प्राचीन भारतीय शिक्षा ने अपने देश में ही नहीं, समूचे विश्व में ऐसा उच्चकोटि का आदर्श स्थापित किया, जिससे न केवल व्यक्ति का व्यक्तित्व समुन्नत हुआ, अपितु सम्पूर्ण देश और समाज का नाम ऊंचा हुआ ।

अतिथियों का स्वागत व परिचय कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ० मनोज कुमार पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ नितेश जायसवाल ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन अधिष्ठाता छात्र कल्याण तथा इस कार्यक्रम के संयोजक प्रो० अजय द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर प्रो. देवराज सिंह, प्रो. वंदना राय, डॉ मनोज मिश्र, प्रो. प्रदीप कुमार,   डॉ गिरिधर मिश्र, डॉ प्रमोद कुमार यादव, डॉ सुनील कुमार, डॉ अवध बिहारी, डॉ श्याम कन्हैयाडॉ अन्नू त्यागी, डॉ.चंदन सिंह, के साथ अन्य शिक्षक, एवं छात्र उपस्थित रहे।

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