पी एफ आई भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा
भारत के आंतरिक शत्रुओं में सबसे कुख्यात नाम किसी और का नहीं बल्कि पीएफ आई का है सच्चे मुसलमान होने के नाम पर वे शांतिप्रिय मुस्लिम समाज में उथल-पुथल पैदा करना चाहते हैं इनका अंतिम एजेंडा कुछ और नहीं बल्कि सत्ता में स्थापित लोगों को हटाकर आवाम में हिंसक इस्लाम स्थापित करना है चाहे वह बेंगलुरु हिंसा हो या केरल के प्रोफेसर के हाथ काटने की घटना हो पाई ने यह साबित कर दिया है कि वह खेरिजिट्स के उत्तराधिकारी हैं जिन्होंने ना कि तीसरे खलीफा को मार गिराया बल्कि अपना शासन स्थापित करने के लिए चौथे को भी ध्वस्त कर दिया इन कट्टटरो की कार्यप्रणाली के बारे में सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए बारिक जांच स्पष्ट कर सकती है कि अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पीएसआई हरसंभव किसी भी हद तक नीचे गिर सकती है जिसे वह बाद में धार्मिक शास्त्रों को तोड़ मरोड़ कर उचित सिद्ध कर देंगे।
इस्लाम को सबसे ज्यादा हानि आंतरिक दुश्मनों से हुई है ना कि बाहरी ताकतों से वर्तमान में मुसलमानों को कट्टरो को पहचानने की जरूरत है जिसे पीएसआई ने अपना प्रतिनिधित्व प्रदान किया है उनकी छिपी हुई हिंसक एजेंडा को उजागर करने की जरूरत है ताकि भारतीय मुसलमानों का भविष्य उनके पूर्वजों से बेहतर हो जैसा कि सुन जुने एक बार कहा था कि अपनी सभी लड़ाई लड़ना और जितना सर्वोच्च उत्कृष्टता नहीं है, सरोज सर्वोच्च उत्कृष्टता यह है जहां दुश्मन से बिना लड़े उनके प्रतिरोध को तोड़ा जा सके सरकार ने पीएसआई जैसे संगठन पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाकर उचित कदम उठाया है और आवाम अपने शांतिप्रिय समाज में इसका बहिष्कार कर सरकार का समर्थन करें।
सूफी कौसर नजीदी, लेखक सूफी खानकाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष