बंजर रह गया लखनऊ-वाराणसी फोरलेन, नहीं लगे 70 हजार पौधे

 

जौनपुर । फोरलेन निर्माण के दौरान काटे गए वृक्षों के अनुपात में पौधारोपण की योजना अव्यवस्था की बलि चढ़ गई। लखनऊ-वाराणसी फोरलेन राजमार्ग पर जिले की सीमा में 70 हजार पौधे लगाए जाने थे। पहले इसकी जिम्मेदारी एनएचएआइ को दी गई थी, लेकिन बाद में परिवर्तन करते हुए इसका जिम्मा वन विभाग को सौंप दिया गया। जुलाई से लेकर अगस्त तक फोरलेन के दोनों ओर वृहद पौधारोपण कराया जाना था। इसके लिए राजस्व विभाग की ओर से अतिक्रमण को भी हटवाया गया था। वन विभाग की ओर से कोरमपूर्ति के नाम पर कुछ पौधे लगाकर कागजी कार्रवाई पूरी कर

दी गई। इससे पर्यावरण संरक्षण को लेकर जगी आस तो खत्म हुई ही धरा को हरा-भरा रखने की मुहिम भी बेपटरी हो गई।

वृहद पौधारोपण की रूपरेखा पर्यावरण को संरक्षित करने के लिहाज से बनी थी। राजमार्ग के फोरलेन निर्माण के दौरान बड़ी संख्या हैं।

में वृक्षों की कटाई होने से राजमार्ग. सुने हो गए हैं, जिसे भरने के लिए सड़क के दोनों किनारे पौधारोपण किया जाना था। बरसात के दिनों में कम बारिश होने की वजह से भी पौधारोपण अभियान प्रभावित हुआ। मजबूरी में इस अभियान को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा। इसके अलावा जो पौधे लगे भी वह पानी के अभाव में सूख गए। आमतौर पर पौधारोपण कराने के लिए इसके संरक्षण की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है, लेकिन ऐसा किया नहीं जाता। यही वजह है कि वृक्ष का आकार लेने के पहले ही अधिकांश पौधे खराब हो जाते है।



डीएफओ प्रवीण खरे ने बताया कि राजमार्ग किनारे पौधारोपण कराया गया है। नौपेड़वा के समीप बड़ी संख्या में पौधे सूख गए हैं। विभाग की नर्सरी में पौधे उपलब्ध हैं। क्षेत्र में पड़ने वाली सीमा का निरीक्षण कर पौधों को बदलवाया जाएगा।
सभार , जागरण


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