भगवान राम के जन्म के मंचन के साथ शुरू हुआ रामलीला

 

जौनपुर।विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी में 1962 से प्रति वर्ष रामलीला मंचन की ऐतिहासिक परम्परा को जारी रखते हुए वृहस्पतिवार की रात को मौसम की खराबी के चलते एक दिन बिलम्ब से राम जन्म के मंचन के साथ रामलीला शुरू हो गया। 

पर्दा खुलने पर सर्वप्रथम पारलौकिक मंचन शुरू होता है। पृथ्वी ऋषि - मुनियों पर असुरों के अत्याचार से दुःखी होकर अपनी बात इन्द्र के पास जाकर रखने का निर्णय लेती है। इन्द्र पृथ्वी को साथ लेकर ब्रह्म के पास जाते हैं। ब्रह्मा सबको लेकर विष्णु भगवान के पास जाते हैं सभी देवता भगवान विष्णु की स्तुति करते हैं। भगवान विष्णु देवताओं को अपने अवतार का आश्वासन देते हैं और सभी से धीरज बनाय रखने को कहते हैं। पर्दा दुबारा उठता है एहिलौकिक मंचन आरम्भ होता है। महाराज दशरथ अपने बाद राज्य चलाने के लिए पुत्र प्राप्ति के लिए अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। वह गुरु वशिष्ठ के पास जाते हैं और उनसे कहते हैं कि उनके बाद राज्य की बागडोर संभालने वाला कोई नहीं है ,राज्य के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर करते हैं। गुरु वशिष्ठ उन्हें श्रृंगी ऋषि के पास लेकर जाते हैं। उनके कहने पर राजा दशरथ पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाते हैं। पर्दा तीसरी बार उठता है दासियां आकर राजा को चार पुत्रों के जन्म का समाचार सुनाती हैं पूरे नगर में इस खुशी में आनन्द बधावा होता है।गुरु वशिष्ठ चारों राजकुमारों का नामकरण करते हैं और मुण्डन संस्कार करवाया जाता है तत्पश्चात चारों राजकुमारों को आश्रम ले जाकर उनकी शिक्षा का आरम्भ करते हैं।राम पिता जी से आखेट की इच्छा जाहिर करते हैं।राम की इच्छानुसार सुमंत चारों राजकुमारों को आखेट के लिए जंगल में लेकर जाते हैं।आखेट के पश्चात राजकुमार नगर के अन्य बच्चों के साथ वापस राजमहल वापस लौट आते हैं। पर्दा गिर जाता है।

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