कृष्ण जन्म की कथा सुनकर भाव—विभोर हुये श्रोतागण

 मुफ्तीगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के कदहरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन महाराष्ट्र से पधारे सुप्रसिद्ध कथा वाचक राममोहन महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ तो वासुदेव व देवकी की बेडिय़ां अपने आप खुल गई थीं और तब ही वह उन्हें रहस्य को उजागर कर रही हैं। यहां प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि आज प्रत्येक जीवात्मा भी जन्म जन्मान्तरों के कार्य बंधन में बंधी है। अच्छे व बुरे कर्मों की जंजीरों में बंधी हुई है परन्तु एक पूर्ण गुरु के द्वारा ही ईश्वर का प्रकटीकरण संभव हो पाता है। अर्थात "गुरु" ही ईश्वर का साक्षात्कार करा हमें वह युक्ति प्रदान करते हैं जिसके द्वारा हम ध्यान साधना में अपने कर्म संस्कारों को काट पाते हैं। जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि यह ज्ञान अग्नि में तेरे भीतर प्रकट कर रहा हूं जो तेरे पाप संस्कारों को समाप्त कर डालेगी। जैसे राजा जनक ने स्वप्न में देखा कि वह राजा से रंक हो गए हैं और अगले दिन ही उन्होंने यह सारी स्वप्न घटना अपने गुरु अष्टावक्र को सुनाई। तब उन्होंने कहा कि राजन यह कर्म तुम्हारे जीवन में आना था। मैंने उसे स्वप्न में दिखाकर ही काट दिया है, इसलिए आज प्रत्येक जीवात्मा को भी ऐसे ही पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ गुरु की आवश्यकता है जो उन्हें ब्रह्मज्ञान प्रदान कर ईश्वर का साक्षात्कार करा सके। कथा के अंत में जन्मोत्सव गीत आकर्षण झांकी देखकर श्रोतागण भाव—विभोर हो गये। इस अवसर पर अशोक तिवारी, सन्तोष गुप्ता, भानु जायसवाल, विनोद अवस्थी, राजन साहनी, ब्रजेश, अंकुश, विष्णु सिसोदिया समेत अनेक लोग मौजूद रहे।

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