चिकित्सक व अभिनेता के बाद अब सेवक बनने की जागृत हुई है इच्छाः डा. विनोद प्रसाद सिंह


शिराज-ए-हिन्द जौनपुर के विभिन्न क्षेत्रों में गत दिवस शूट करके बनायी गयी हिन्दी फीचर फिल्म ‘गार्जियन्स’ के निर्माता/अभिनेता तथा नगर के खरका में अस्पताल खोलकर मरीजों की सेवा करने वाले डा. विनोद प्रसाद सिंह की पत्र-प्रतिनिधि से हुई वार्ता के दौरान कुछ बातें उभरकर सामने आयी। तमाम सामाजिक, रचनात्मक एवं धार्मिक संस्थाओं से जुड़ने के साथ ही महर्षि परशुराम के गांव जमैथा में मंदिर निर्माण करवाने वाले श्री सिंह से हुई बातचीत के प्रमुख अंशः-
प्रश्नः भाजपा से टिकट मांगने वाले नामों में आपका नाम भी सुना जा रहा है।
उत्तरः ऐसा मैंने 2004 के चुनाव में किया था। जब द्वितीय स्थान पर मेरा नाम संसदीय बोर्ड में गया था। इस बार भी दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री डा. हर्षवर्धन जी से मैंने इसका जिक्र किया था। राजनीति मेरे लिये सेवा का एक बड़ा प्लेटफार्म है, लिप्सा का केन्द्र नहीं। बस इतना ही।
प्रश्नः भाजपा ही क्यों?
उत्तरः मेरी नजर में भाजपा ही देश के उत्थान के लिये सबसे ज्यादा समर्पित एक पार्टी है। उसकी एक निश्चित विचारधारा और सोच है।
प्रश्नः और पार्टियों की अपेक्षा भाजपा में टिकटों की मारामारी ज्यादा क्यों है?
उत्तरः सभी मन से मान चुके हैं कि भाजपा इस बार निश्चित ही जीत कर सरकार बनायेगी, इसलिये बहती गंगा में सभी हाथ धोना चाहते हैं। सभी यह सोचते हैं कि मोदी जी उनकी सीट तो जितवा देंगे जबकि होना यह चाहिये कि सभी मिलकर मोदी जी को जिताने की सोचें और देश का नेतृत्व एक योग्य और ईमानदार आदमी के हाथ में देने के लिये कोशिश करें।
प्रश्नः और पार्टियां मोदी का विरोध क्यों कर रही हैं?
उत्तरः अपने निर्माण के साथ ही इस देश का दुर्भाग्य रहा है कि जब भी इसके उत्थान की कोई कोशिश करता है, सभी विध्वंशक शक्तियां एकजुट होकर उसका विरोध करने लगती हैं, क्योंकि देश से ज्यादा उन्हें अपना हित प्यारा है। एक साथ हुंआ-हुंआ करने वाले ये सियार सही को गलत साबित करने की कोशिश करने लगते हैं, क्योंकि उन्हें खून पीने की लत लग चुकी है और एक-एक कर ये सबका खून पियेंगे। भारत माता की भी खून पियेंगे और विदेशों में अपना बैंक बैलेंस बढ़ायेंगे।
प्रश्नः भाजपा के सीनियर नेता भी तो विरोध कर रहे हैं?
उत्तरः मोदी जी की लोकप्रियता से भयभीत एवं आशंकित कुछ बुजुर्ग नेता एक बार यह तो पसन्द करेंगे कि भाजपा की सरकार न बने लेकिन उन्हें यह नहीं पसन्द होगा कि उनके कनिष्ठ कोई प्रधानमंत्री की कुर्सी हथिया ले। भले ही वह मोदी जी ही क्यों न हों।
प्रश्नः मोदी जी को जीतने का इतना विश्वास है तो दो सीटों पर लड़ाई क्यों?
उत्तरः मोदी जी के जीतने का विश्वास उनसे ज्यादा विरोधियों को है, इसलिये वे चिल्ला रहे हैं। विभिन्न समयों में स्व. इन्दिरा गांधी, श्रीमती सोनिया गांधी, मुलायम सिंह भी तो दो जगहों से चुनाव लड़े हैं या लड़ रहे हैं, उनके बारे में तो कोई शोर नहीं मचाता। आज तक इस देश में कभी भी किसी व्यक्ति के खिलाफ सभी दलों के साझा प्रत्याशी की बात तो नहीं किया। किसी ने फिर मोदी जी के खिलाफ इस चक्रव्यूह की रचना क्यों? और मेरी समझ में यही किसी व्यक्ति के लोकप्रियता का पैमाना है।
प्रश्नः क्या आप मानते हैं कि काशी मोदी जी के लिये एक चक्रव्यूह है?
उत्तरः निश्चित ही मानता हूं और सभी को मानना चाहिये। अन्तिम चरण में होने वाले काशी के चुनाव में सभी नेता इस चक्रव्यूह में बाणों की बौछार करेंगे। चक्रव्यूह का 8वां जातिवाद का द्वार तोड़ना मोदी जी के लिये आसान नहीं होगा, क्योंकि इससे लड़ने का कोई पूर्व तजुर्बा उनके पास नहीं है, इसलिये हम सभी लोगों को 8वां जातिवाद द्वार तोड़ने में मोदी जी सहायता करनी चाहिये। गंगा के अवतरण के बाद गंगा के निर्मलीकरण के निये पुनः एक भागीरथ प्रयास की आवश्यकता है।
प्रश्नः यदि 272 का जादुई आंकड़ा न पहुंचा तब?
उत्तरः यदि ऐसा हुआ तो चुनाव के नतीजों के साथ सभी देशवासियों को अपनी गलतियों का एहसास होगा। सभी अपने आपको ठगा महसूस करते हुये खुद को कोसेंगे लेकिन अभिमन्यु तब तक मारा जो चुका होगा और उसके खून के प्यासे जश्न मनायेंगे। एक गठबंधन बनाकर देश को लूटने का प्लान बना देंगे और सभी देशवासी जाति व धर्म में बंटे अगले चुनाव में यही गलती दोहराने के लिये उसका इन्तजार करेंगे।

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