विश्व टीबी दिवस पर शिविर लगाकर सैकड़ों का हुआ परीक्षण



जौनपुर। फेफड़ों की टीबी से ग्रसित व्यक्ति द्वारा खांसने व छींकने से आस-पास मौजूद अन्य व्यक्तियों को संक्रमित होने से कोई रोक नहीं सकता है। संक्रमण के दौरान जिन मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन्हीं को टीबी की बीमारी का प्रभाव ज्यादातर देखा गया है। उक्त बातें विश्व टीबी दिवस पर सोमवार को जिला क्षय एवं छाती रोग चिकित्सालय में आयोजित निःशुल्क शिविर के दौरान चेस्ट स्पेशलिस्ट डा. अतुल श्रीवास्तव ने कही। उन्होंने कहा कि आज भारतवर्ष में प्रतिवर्ष 17 लाख लोग टीबी के शिकार हो रहे हैं जिसमें प्रतिवर्ष बड़ी टीबी यानी एमडीआर भी प्रतिवर्ष 63 हजार आंकड़े में दर्ज हो रहे हैं। शिविर के माध्यम से सैकड़ों मरीजों के स्वास्थ्य का परीक्षण करने के साथ ही दवा व उचित परामर्श देने वाले डा. श्रीवास्तव ने कहा कि टीबी से ग्रसित व्यक्ति को दवाओं की उचित खुराक बिना नागा किये लेने की आवश्यकता है, अन्यथा वे बड़ी टीबी के शिकार हो सकते हैं। इसी क्रम में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एके सिंह ने कहा कि सामान्य मरीज के अलावा एचआईवी से ग्रसित मरीज में टीबी होने की संभावना 50 प्रतिशत बढ़ जाती है, इसलिये टीबी का नियमित उपचार बिना नागा किये निर्धारित समय तक जरूर लें। अन्त में चिकित्सालय के अधीक्षक डा. आनन्द चैधरी ने कहा कि आज की तारीख में 5 में से 3 व्यक्ति टीबी के संक्रमण में प्रतिदिन दर्ज हो रहे हैं जिससे निजात दिलाने की अति आवश्यकता है। इस अवसर पर संजय भारतीय, मनोज तिवारी, राजनाथ यादव, मुख्तार अहमद, आसमा, शीला तिवारी, रणधीर यादव, विजय प्रताप, सुरेन्द्र निषाद सहित तमाम स्टाफ कर्मचारी, मरीज आदि उपस्थित रहे।

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