व्रती महिलाओं ने परम्परागत ढंग से की अष्टमी की पूजा


जौनपुर। सनातन धर्म से चली आ रही परम्परा को कायम रखते हुये हिन्दू धर्म की महिलाओं ने सोमवार को अपने गुरूकुलों को याद किया एवं बीते रविवार को निराजल व्रत रहने के बाद आज तड़के अच्छे पकवान से घर की चैखट पर बेदी बनाकर पूजा-पाठ किया। साथ ही पूर्वांचल की शक्तिपीठ मां शीतला चैकियां धाम जाकर माता शीतला, मां काली एवं गंगा माता की पूजा किया। होली के ठीक 8वें दिन होने वाली इस पूजा की अलग मान्यता है जिसके संदर्भ में पिछले 45 वर्षों से व्रत रहकर पूजा-पाठ करने वाली मुन्नी देवी ने बताया कि यह पूजा रंगों के पूर्व होली के 8वें दिन होती है लेकिन इसके एक दिन पहले निराजल व्रत रखा जाता है। वैसे यह पूजा सावन के सप्तमी एवं नवरात्रि के नवमी के दिन भी होता है। मुन्नी देवी का कहना है कि इस व्रत के मद्देनजर एक दिन पूर्व व्रत रहने के बाद दूसरे दिन पूड़ी, हलुवा, चना, गुलगुला आदि बनाया जाता है तथा घर की चैखट पर वेदी बनाकर माला, फूल, अगरबत्ती के साथ पूजा करने के बाद शीतला चैकियां धाम जाया जाता है। वहां माता शीतला, मां काली की पूजा होती है तथा वहीं मंदिर के पीछे स्थित तालाब के किनारे 7 गुट्टी से वेदी बनाकर अबीर-गुलाल से गोंठने के साथ पूजा होती है। इस व्रत को भोजपुरी भाषा में ‘बसिअउरा’ भी कहा जाता है। देखा गया कि इस व्रत एवं पूजा के मद्देनजर घरों के बाहर चैखट पर वेदी बनाकर घर की महिलाओं ने पूजा-पाठ किया जिसके बाद घरवालों समेत आस-पास के लोगों में प्रसाद का वितरण हुआ।

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