सीतामढ़ीः लवकुश ने यहीं बांधा था राम के अश्वमेध का घोड़ा

लक्ष्मण ने मां सीता को वनवास काल में यहीं था छोड़ा
वाल्मीकी आश्रम में मां सीता ने दिया कुमारों को जन्म
हनुमान जी की विख्यात है यहां की 108 फीट उंची प्रतिमा

भदोही। दक्षिणांचल में गंगा तट पर स्थित बाल्मीकी आश्रम यहीं है। त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम ने अपने न्याय प्रियता और पारदर्शी व समदर्शी राजतंत्र की अग्नि परीक्षा के लिए मां सीता का निर्वासन यहीं के घोर जंगल में हुआ था। सीतामढ़ी के नाम से सुविख्यात वह धार्मिक स्थल सीतामढ़ी यहीं स्थित है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जब अश्वमेध यज्ञ किया था तो लव और कुश कुमारों ने यज्ञ का घोड़ा यहीं बांधा था। बाल्मीकी तपोस्थली के नाम से विख्यात वह आश्रम इसी गंगा तट पर है। अषाढ़ मास में यहां नौ दिन का लवकुश मेला आयोजित होता है। जिसे रामायण मेले के नाम से जानते हैं। इसका आयोजन 17 से 25 जुलाई तक होगा। मेले जहां नौ दिन तक भव्य प्रवचन चलता है। वहीं पूरे पूर्वांचल से इस पवित्र स्थान का अवलोकन करने लोग आते हैं।रामायण काल में जो उल्लेख किया गया है वह आज भी यहां विद्यमान हैं। ठीक गंगा तट पर वह बाल्मीकी आश्रम आज भी विद्यमान है जहां आयोध्या से निष्कासन के बाद मां सीता अपने वनवास काल काटे थे। वह पवित्र धरती यहीं हैं जहां धरती में समाहित थी। अब वहां भव्य मंदिर वन गया है। यह स्थल अब बेहद दर्शनीय बन गया है। यहां देश के कोने-कोने से लोग दर्शन करने आते हैं। काशी प्रयाग के मध्य स्थित होने से इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। काशी या प्रयाग का दर्शन लाभ लेने वाले भक्त मां सीता के इस पवित्र स्थल का अवलोकन जरुर करते हैं। यहंा महराष्ट, गुजरातत, दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार से लोग आते हैं। जब सूरज डूब रहा हो उसे समय यह स्थल बेहद दर्शनीय लगता है। वैसे इस बरसात के मौसम में यहां की रमणीता में चार चांद लग जाता है। बरसात की वजह से चहुंओर हरियाली दिखाई देने लगती है। यहां पर मां सीता का मंदिर बेहद दर्शनीय हैं। जहां मां सीता को साक्षात धरती में प्रवेश करते दिखाया गया है। यह गर्भगृह का दृश्य है। इसके बाद एक शीशा की नक्काशी से मां का मंदिर निर्माण हुआ है। जिसमें मां सीता की आदमकदम प्रतिमा देवी शक्ति का प्रदर्शित यहां भगवान शंकर की जटा से निकलती गंगा की धारा आपको आकर्षित करती है। इसके अलावा महावीर हनुमान की 108 फीट की आसमान को चूमती आदमकद प्रतिमा अपने आप में अद्वितीय है। यहां लोग उस प्रतिमा का दर्शन करने आते हैं। यह प्रतिमा अपने आप में आश्चर्य है। इसके अलावा गंगा नदी पर स्थापित बाल्मीकी आश्रम का वह प्राचीन बरगद आज भी गवाह है। यह स्थल बेहद रमणीय है। यहां मुनि बाल्मीकी, मां सीता, लवकुश का प्राचीन मंदिर है। इस स्थल का खास धार्मिक महत्व है। कहां जाता है कि यहां एक सीता मांता का केस है। जिसे बगही माता का केस कहा जाता है। यह आज भी गर्भगृह के पास उगता है। मान्यता है जिस इस का केस बंधन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। रात विश्राम के लिए भी बेहतर सुविधा है। यह राष्टीय राजमार्ग-दो यानी जब आप इलाहाबाद से वाराणसी की ओर बढ़ेंगे तो हंडिया से आगे बरौत से बढ़ने पर सीतामढ़ी जाने के लिए आपको रास्ता मिलेगा। भदोही के जंगीगंज से भी सीता रास्ता है। इस धार्मिक स्थल के विकास में दिल्ली की संस्था सत्यनारायण पुंज ने बड़ा योगदान दिया है। यहां एक बेहतर होटल भी है। लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस चैकी थी स्थापित है। अगर आप भदोही से गुजर रहे हैं तो सीतामढ़ी का अवलोकन जरुर करें। मां सीता की धरती पर पधार कर आप धन्य हो जाएंगे।

Related

पुर्वान्चल 3526270896399007557

एक टिप्पणी भेजें

emo-but-icon

AD

जौनपुर का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

आज की खबरे

साप्ताहिक

सुझाव

संचालक,राजेश श्रीवास्तव ,रिपोर्टर एनडी टीवी जौनपुर,9415255371

जौनपुर के ऐतिहासिक स्थल

item