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बुधवार, 3 जुलाई 2019

सुख और दुःख मनुष्य के कर्मों का नतीजा

जौनपुर। न कोई किसी को दुःख दे सकता है और न ही कोई किसी को सुख दे सकता है। सुख व दुख मनुष्य अपने कर्मों के द्वारा प्राप्त करता है तथा भगवान भी न ही किसी को बचाने और न ही किसी मारने आते हैं। प्रभु तो केवल धर्म की रक्षा के लिए भक्तों की करूण पुकार पर आते हैं, और धर्म के विरूद्ध आचरण करने वाले को दण्डित करते हैं। उक्त बातें आचार्य डा० रजनीकान्त द्विवेदी श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के अन्तर्गत  रासमण्डल स्थित श्री जगन्नाथ मन्दिर में कही गयी। उन्होने कहा कि जहाँ भेद बुद्धि होती है वहां अभिमान रूपी हिरणाक्ष व लोभ रूपी हिरण्यकश्यप का जन्म होता है। तथा जहाँ अभेद बुद्धि होती है वहां भगवान का अवतार होता है।   द्विवेदी ने   भगवान वाराह के जन्मों का वर्णन किया तथा यह भी कहा कि मनुष्य को चाहिए वह स्वांस-स्वांस पर भगवान का भजन करे क्योंकि जो स्वांस शरीर से बाहर निकली वह पुनः प्राप्त होगी या नहीं। इसके पूर्व प्रातः आचार्य पं. निशाकान्त द्विवेदी, आचार्य विजय शंकर पाठक व आचार्य सुदर्शन शास्त्री ने  वेदी पूजन वैदिक परम्परा के आधार पर मुख्य यजमान हरदेव सिंह, संजय गुप्ता ने सपत्नीक पूजन किया तथा चिकित्सक डा. रजनीश श्रीवास्तव, डा. अजीत कपूर, डा. अशोक अस्थाना, डा. विकास रस्तोगी, डा. स्मिता श्रीवास्तव आदि चिकित्सकों की टीम ने भगवान श्री जगन्नाथ जी, बलभद्र जी व देवी सुभद्रा का स्वास्थ्य परीक्षण किया तथा प्रभु को परवल का काढ़ा प्रदान करने के परामर्श के साथ भगवान हुए स्वस्थ कल अर्थात आषाढ़शुक्ल द्वितीया को निकलेंगे नगर भ्रमण को। कल प्रातः भगवान श्री जगन्नाथ जी का पूजनोपरांत श्रीमद्भागवत कथा शाही खिचड़ी का भोग व सायं 4 बजे से रथयात्रा प्रारम्भ होगी ।  सायंकाल 4 बजे से रथयात्रा मंदिर प्रांगण मानिक चैक से प्रारम्भ होकर सुतहटी बाजार, सब्जी मण्डी, कोतवाली चैराहा, चहारसू चैराहा, ओलन्दगंज, सद्भावना पुल, मानिक चैक होते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर पर समाप्त हो जायेगी।

कथा के पूर्व रथयात्रा समिति के अध्यक्ष शशांक सिंह रानू, पं० राज नारायण शुक्ल, मुख्य ट्रस्टी संतोष गुप्ता, दिनेश कपूर, शिवशंकर साहू, डा. प्रताप सिंह गुहिलोत, जय सिंह, आशीष यादव, संजय पाठक, नीरज श्रीवास्तव, नीरज उपाध्याय, कुसुम राय, संध्या गुप्ता, मुरारी गुप्ता आदि श्रोतागणों का योगदान सराहनीय रहा। माल्यार्पण में श्रीमती गुलाब सिंह, आशीष गुप्ता ‘आशू’, डा. सुबाष राय, भास्कर पाठक आदि ने कथा व्यास डा. रजनीकान्त द्विवेदी की कथा से पूर्ण किया।

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