आपका जीवन हमसे बेहतर क्यों ?

लखनऊ । जीवन के सफर में हम प्रतिक्षण अपना मूल्यांकन पैसो और उपलब्धियों के आधार पर करते रहते है | जबकि इन सबसे कही बेहतर है की उम्र के अनुसार अपना मुल्यांकन करें | जिससे हम सभी प्रकार की समस्याओं से आसानी से बाहर आ जायेंगे | क्योकि यही इतिहास में भी सत्य था वर्तमान में भी सत्य है और भविष्य में भी सत्य सिद्ध होगा | “Life is beautiful, when we analyze all positive things of Life”


40 वर्ष तक की आयु होने तक उच्च शिक्षित एवम कम शिक्षित दोनों एक जैसे हो जाते हैं, यहां तक कि कभी कभी कम पढ़े लिखें लोगों के पास ज्यादा पैसा होता है ।


50 वर्ष तक की आयु होने तक सुंदरता एवम कुरूपता दोनों एक ही स्तर पर आना शुरू हो जाती हैं क्योंकि आप कितने भी सुंदर हों एक उम्र के बाद सभी के चेहरे पे झुर्रियां, झाइंया इत्यादि आना शुरू हो जाती है, जो देर सवेर नज़र आने लगती हैं ।


60 वर्ष तक की आयु होने तक उच्च पद और कमतर पद वाले भी एक ही स्थिति में आ जाते है । क्योंकि रिटायरमेंट के बाद चपरासी और अफसर दोनों एक ही स्थिति में होते हैं ।


70 वर्ष तक की आयु होने तक इंसान के लिए बड़ा घर, छोटा घर दोनों एक बराबर हो जाते हैं क्योंकि इस उम्र तक आते - आते जोड़ो के दर्द इतना परेशान करते हैं कि छोटी सी जगह पे चलना भी भारी पड़ता है ।


80 वर्ष तक की आयु होने तक पैसा होना ना होना दोनों एक बराबर हो जाता है क्योंकि पैसा होने पर भी आप ये नही समझ पाते कि कहां खर्च करें ।
90 वर्ष तक की आयु होने तक सोना और जागना दोनों स्थितियां एक जैसी ही जाती हैं क्योंकि उठने के बाद भी ये समझ नही आता कि अब क्या करें ।

उपरोक्त पक्तियों से भी गहरी बात जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु सुनिश्चित है फिर न किसी से डरना चाहिए न ही किसी लालच में गलत काम करना चाहिए | आपका अच्छा कार्य हमेशा इस संसार में स्थिर रहेगा |

इसलिए ज़िन्दगी को सरलता से और जी भर के जियें क्योंकि एक समय के बाद हम सब कम-और्-ज्यादा एक ही स्थिति में होते हैं ।

डॉ अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)

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