दीवानी न्यायालय को किया जायेगा सेनेटाइज

जौनपुर । जनपद न्यायाधीश मदन पाल सिंह ने बताया है कि महानिबंधक,   उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा जनपद न्यायालयों में 22 मई से न्यायिक कार्य प्रारंभ किए जाने के संबंध में मार्गदर्शक बिंदु निर्धारित किए गए हैं ।उन्होंने बताया कि जनपद जौनपुर का न्यायालय परिसर परिरोधन क्षेत्र कैटेनमेण्ट में नहीं है। उक्त के आधार पर   न्यायालय से प्राप्त निर्देशानुसार ऑरेंज जोन में स्थित जनपद न्यायालयों में 22 मई   से अग्रिम आदेश तक न्यायिक कार्य संपादन किए जाने हेतु निम्नलिखित मार्गदर्शक दिए गए हैं। तदनुसार 22 मई से न्यायिक कार्य  संपादित किया जाएगा । उन्होंने बताया कि न्यायालय परिसर को न्यायिक कार्य हेतु खोले जाने से पूर्व न्यायालय परिसर स्थित समस्त भवनों को सैनिटाइज किया जाएगा। प्रशासन के परामर्श से कोविड 19 के संकट का स्तर एवं जनपद में जोन की स्थिति की दैनिक समीक्षा की जाएगी और यथास्थिति दैनिक आधार पर वेवलिंक पर इसे अपलोड किया जाएगा।   उच्चतम न्यायालय   द्वारा न्यायिक अधिकारिता एवं भारत सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के संबंध में पारित किए गए निर्देशोंध्मार्गदर्शन का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। न्यायालयों में न्यायिक कार्य संपादन हेतु पैतृक न्यायालयों एवं विशेष अधिकारिता वाले न्यायालयों द्वारा एवं विशेष परिस्थिति में अन्य न्यायालय द्वारा कार्य किया जाएगा । इसमें जनपद न्यायाधीश व प्रथम अपर न्यायाधीश,प्रधान न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय, विशेष अधिकारिता का प्रयोग करने वाले सभी न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी,प्रथम एवं न्यायिक दंडाधिकारी,द्वितीय, सिविल जज सीनियर डिविजन, सिविल जज जूनियर डिविजन शहर ,सिविल जज जू.डि.शाहगंज एवं सिविल जज जू.डि.जौनपुर द्वारा वादों की सुनवायी की जाएगी। प्रभावी अवधि के दौरान न्यायिक अधिकारियों द्वारा नएध्लंबित प्रकरणों के एडमिशन पर सुनवाई, लंबितध्नए जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई, लंबित एवं नये जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई, वाहनों को अवमुक्त किए जाने संबंधी प्रार्थना पत्र एवं लघु अपराध के वादों की सुनवायी, लंबितध्नए आवश्यक निषेधाज्ञा प्रार्थना पत्रों की सुनवाई, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 के अंतर्गत प्राप्त होने वाले पुलिस आख्या का निस्तारण, विवेचक द्वारा प्रस्तुत गैर जमानती अधिपत्र दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82/83 के आवेदन एवं धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कथन किए जाने वाले प्रार्थना पत्रों का निस्तारण, विचाराधीन बंदियों की रिमांडध्अन्य न्यायिक कार्यवाही का संपादन केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा ।   जनपद न्यायाधीश ने बताया कि न्यायालय में कार्रवाई के दौरान पुरुष अधिवक्तागणों द्वारा सफेद शर्ट, हल्के रंग के पैंट के साथ बैंड का प्रयोग किया जाएगा तथा महिला अधिवक्तागण द्वारा उपयुक्त  हल्के रंगों का परिधान बैंड के साथ प्रयोग किया जाएगा। न्यायिक अधिकारियों को कोट  तथा गाउन पहनने से मुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक कार्य दिवस में नियत कार्य पूर्ण होने पर सभी न्यायिक अधिकारी एवं कर्मचारी न्यायालय परिसर से चले जाएंगे। प्रभावी अवधि के दौरान आवश्यकता के अनुरूप सीमित संख्या में शपथ आयुक्तगण, स्टांप विक्रेताओं एवं टाइपिस्ट को परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी ।उन्होंने बताया कि न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग जांच प्रत्येक कार्य दिवस में की जाएगी। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत केवल ऐसे न्यायालय कक्ष खोले जाएंगे जहां पर सुनवाई हेतु अधिवक्तागण को उपस्थित होना है ,ऐसे न्यायालय कक्षों में समुचित दूरी पर चार कुर्सियां रखी जाएगी। न्यायालय कक्ष में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्ति द्वारा मास्क का प्रयोग किया जाएगा।

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