आकर्षण या प्रेम

जौनपुर । जीवन के प्रत्येक उम्र में सभी को आकर्षण होता है | लोग किसी वस्तु, विषय, व्यक्ति, या स्थान को देख कर आकर्षित होतें है | कई मायने में देखा जाय तो आकर्षण  प्रेरणा का कार्य करता है | इसके ठीक विपरीत कई मायनो में आकर्षण के प्रति लोगों की उच्च लालसा और आकंक्षा की वजह से अनुचित विचारों को जन्म होता है और जो कही न कही अनहोनी का होना सुनिश्चित करता है | सबसे सरल और सुकून देने वाली आकर्षण प्राकृतिक सौन्दर्यता है जिससे न केवल जीवन में सरलता आती है बल्कि अद्भुत सुकून का एहसास होता है | उदहारण के रूप में देखा जाय तो घनघोर बादलों का उमड़ना, रिमझिम बारिश का होना, ठंढ़ी हवाओं का मंद-मंद चलना, फूलों का खुशबु बिखेरना, भौरों का गुनगुनाना, सूर्य का उदय होना, चंद्रमा का देदिप्त्मान प्रकाश का होना, गंगा की लहरों का होना, हरियाली का होना जैसे अनेकों प्राकृतिक सुन्दरता है जिसके प्रति आप आकर्षित हो सकते है | समय के परिवर्तन के साथ-साथ लोगों की जीवनशैली में व्यापक परिवर्तन हुआ है और यदि पिछले दो दशकों से देखा जाय तो हम सभी प्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक सुन्दरता से दूर हुए है जबकि नई पीढ़ी में प्राकृतिक सुन्दरता का एहसास मंद सा पड़ गया है |

समय के साथ साथ हमारे जीवन को नियंत्रित, टेलीविजन, मोबाईल, कम्प्यूटर, समाचार पत्र, बड़े-२ मॉल और सीनेमा घर करने लगें है | यदि यकीन नहीं आता तो अपनी जीवन शैली की तुलना अपने बच्चों के जीवन शैली से करिये और यदि आप नव-युवक है तो अपने पिता या घर के अन्य किसी बड़े सदस्य की जीवन शैली से करिये | आपको उचित उत्तर प्राप्त हो जायेगा | इन सब का उदहारण देने का मात्र तात्पर्य यह है की आधुनिकता की इस दौड़ में हम अपने जमीनी आधार स्तम्भ से कोषों दूर होते चले जा रहे है | यकीन न आये तो अपने आस-पास की घटना दुर्घटना का मुल्यांकन कीजिये, कारण आपको वही प्राप्त होंगे जो हमारे जीवन को निन्त्रित कर रहें है | किसी वस्तु, विषय और स्थान के प्रति आकर्षित होने पर सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद आप तभी कर सकते है जब आप में धैर्य और कठिन परिश्रम करने की क्षमता का निर्माण किया गया हो | फ़िल्मी दुनियां और धारावाहिकों में जिस तरह सफलता प्राप्त होती है जीवन की सच्चाई उससे कोषों दूर है | आत्मा निर्भरता, दुसरो की भावनाओं की प्राथमिकता से ही जीवन रूपी साईकिल चलती है |

किसी व्यक्ति के प्रति आकर्षित होना एक आम बात है | बाँप – माँ अपने बेटे के प्रति आकर्षित होते है उसके मीठी मुस्कान को देखकर, उसकी शरारतों को देखकर, उसकी सफलता को देखकर | कई बार लोग अपने दोस्त, मित्र, अजनबियों के प्रति आकर्षित हो जातें है | इस आकर्षण में गजब का जादू और शक्ति दोनों विद्यमान होता है | यदि उस शक्ति का प्रयोग सकारात्मक रूप में कर पाये तो अप्रत्याशित रूप से आप अपने विचार, व्यवहार, धैर्य और उद्देश्य के प्रति सफल हो सकते है | आज की इस युवा पीढ़ी में आकर्षण ने अपनी पैठ तेजी से बना लिया है जहाँ लोगों को अपनी शक्सियत की परवाह किये बिना दिखावें की आदतें अधिक परिलक्षित हो रही है | यदि सामान रूप में तुलना आकर्षण और प्यार में किया जाय तो आज प्यार के मायने लगभग अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है | जहाँ खूबसूरती के प्रति आकर्षित होकर उसे पाने के वैध अवैध सारी व्यवस्थाएं अपनाई जा रही है और इच्छा पूर्ति हो जाने पर दुसरे आकर्षण की तलाश जारी हो जाती है |

मेरा व्यक्तिगत ऐसा मानना यह है की जब आप किसी के खूबसूरती पर आकर्षित होतें है तो निसंदेह आप प्यार का एक प्रतिशत भी एहसास नहीं कर पाते है | प्यार का एहसास तो सही मायने में किसी से बिचारों का मिलना, सहयोग की भावना, किसी को पाने की अपेक्षा उसे खुश देखना होता है | खूबसूरती की सीमा असीमत है अभी जिसके प्रति हम आकर्षित हो रहें है समय आने पर या उससे अच्छी और अधिक खूबसूरती देखने पर हम उसके प्रति भी आकर्षित हो सकते है | किन्तु जब प्यार के एहसास के सम्पूर्ण तथ्यों के साथ किसी के प्रति आकर्षित होकर अपने प्यार का इजहार करते है | तो सही मायने में हम पाने और खोने की भावना से ऊपर उठ चुके होते है और ये क्रिया ही हमें जीवन के प्रत्येक क्षण में सुकून दर्शाती है | एक छोटे से उदहारण से प्यार के एहसास को सुन्दर ढंग से समझा जा सकता है | किसी गुलाब के फूल को बाग में देखकर आप में उसे तोड़ने की लालसा जागृत होती है तो यह प्रत्यक्ष रूप से आकर्षण का स्वरुप होगी न की प्यार का | जबकि उसी गुलाब की खूबसूरती को महसूस करने और उसकी चमक को लगातार बने रहने देने के लिए आप उसकी देखभाल करते हो तो कही न कही वह आपके आन्तरिक प्यार को दर्शाता है | कई बार ऐसा होता है की क्षणिक एहसास आपको जीवन पर्यन्त आकर्षण से दूर रख सकता है |

विगत के कुछ दशकों से खास कर वर्तमान समाज में प्यार शब्द सिर्फ शब्द तक सीमित रह गया है और आकर्षण ने प्यार की जगह को ले लिया है जिसकी वजह से लोगो में व्यापक रूप में सम्बन्धो का विघटन दिखाई पड़ रहा है | शायद अब यह समय आ गया है की हमारी –आपकी वर्तमान पीढ़ी को बचाने के लिए हमारे धार्मिक ग्रंथो का विवेचन उनके लिए अनिवार्य करनाचाहिए | जिससे वो किसी वस्तु, व्यक्ति का सही मूल्य आकर्षण की सोच से निकल कर कर पायेगे | आकर्षित होना एक साधारण प्रक्रिया है किन्तु उस आकर्षण को समझना और उससे दूर रह क्र क्रिया करना ही जीवन की सफलता का मूल मन्त्र है | यदि आप भी इन दिये गये विवरण से सहमत है तो न केवल इसे शेयर कर दुसरे तक पहुचायें बल्कि अपने विचार को जरुर व्यक्त जरुर करें |
डॉ अजय कुमार मिश्रा (लखनऊ)

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