जौनपुर। एक डिफाल्टर से दोस्ती निभाना बैंक कर्मचारियों को भारी पड़ गया है। उसके साथ सम्बन्ध निभाने के चक्कर में बैंक की साख में बट्टा लग गया है वहीं नौकरी भी दांव पर लग गई है।
इस मामले पर बैंक के मैनेजर से बात किया गया तो उन्होंने ने कहा मीडिया कोई जानकारी देने का अधिकार मेरे पास नहीं है , बैंक की लीगल टीम जानकारी दे सकती है।
पिछले सप्ताह पालिटेक्निक चौराहा निवासी टाईल्स कारोबारी ओमप्रकाश जायसवाल और उनके बेटे राजीव जायसवाल के विरुद्ध नगर कोतवाली में धोखाधड़ी, जालसाजी, जान से मारने की धमकी सहित कई संगीन धाराओं में जो मुकदमा दर्ज हुआ था। उसकी जांच की आंच बैंक आफ इंडिया के कर्मचारियों पर भी पहुंचने लगी है। आरोपियों ने कोलकाता निवासी राम चंदर साव के नाम दो- दो लाख का तीन चेक काटकर बैंक कर्मचारियों की मिली भगत से खुद सारा पैसा निकाल लिया था। मामला संज्ञान में आने पर राम चंदर के भतीजे दिलीप साव ने नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। जिसकी विवेचना सराय पोख्ता चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर सुनील यादव द्वारा की जा रही है।
आरोप है कि ओमप्रकाश जायसवाल ने व्यापार बढ़ाने के नाम पर अपने सगे मामा रामचंदर और उनके भतीजे दिलीप साव से लम्बी रकम उधार लिया था। पालिटेक्निक चौराहा स्थित उनका मकान भी रहने के लिए लिया था। अब न तो उनका उधारी का पैसा वापस कर रहे हैं और न मकान ही खाली कर रहे हैं। मामा का मकान हड़पने की नीयत से दीवानी न्यायालय में झूठा मुकदमा भी दाखिल कर दिया है। छानबीन में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि आरोपी बाप और बेटा उसी बैंक में डिफाल्टर की श्रेणी में हैं। बैंक से लोन लेने के बाद पैसा वापस नहीं कर रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब बैंक कर्मचारियों को पता था कि बाप बेटे उनकी बैंक में डिफाल्टर हैं तो उनकी साजिश में शामिल होकर राम चंदर के नाम का रुपया उन्हें कैसे दे दिया।
हालांकि बैंक मैनेजर ने इस मामले पर कहा कि आरोपी डिफाल्टर नहीं है। उसका करेंट चल रहा है और सीसी भी चालू है।
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