रेजांगला के वीर शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि, गोष्ठी में गूँजा अहीर वीरों का पराक्रम
जौनपुर। अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के तत्वावधान में रेजांगला के वीर शहीदों के अद्वितीय पराक्रम को याद करते हुए गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वीर जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।गोष्ठी को संबोधित करते हुए यादव महासभा के प्रदेश महासचिव कमलेश यादव ने कहा कि रेजांगला की लड़ाई अहीर सैनिकों के अनुपम साहस, शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। लद्दाख स्थित चुशुल घाटी का यह दर्रा 1962 के भारत-चीन युद्ध में 13 कुमाऊं बटालियन का अंतिम मोर्चा था। मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में लड़ने वाले 124 जवानों में 114 ने वीरगति पाई। अधिकांश सैनिक अहीर थे।
उन्होंने बताया कि इन वीर जवानों ने अंतिम क्षण तक मोर्चा नहीं छोड़ा और करीब 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया। 1963 में जब खोज अभियान चलाया गया तो जवानों के शव अंतिम लड़ाई की मुद्रा में हथियारों के साथ मिले। उनकी वीरता के सम्मान में रेजांगला में स्मारक बनाया गया है, जिसे अहीर धाम के नाम से जाना जाता है। चीनी सेना ने भी इन योद्धाओं को “ब्रेवेस्ट ऑफ ब्रेव” की उपाधि दी थी।
भारत सरकार ने कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र, आठ जवानों को वीर चक्र, चार को सेना मेडल और एक को मेंशन-इन-डिस्पैच से सम्मानित किया। 13 कुमाऊं बटालियन के कमांडिंग अफसर को एवीएसएम प्रदान किया गया। सैन्य इतिहास में किसी एक बटालियन को एक साथ इतने बहादुरी पदक बेहद विरले हैं। बाद में इस कंपनी का नाम बदलकर रेजांगला कंपनी कर दिया गया।
कार्यक्रम में राकेश यादव, अनिलदीप, संजय, धर्मेंद्र कुमार, अखिलेंद्र, सियाराम यादव, धीरज, कन्हैया लाल, विजय कुमार, कालिका प्रसाद, सौरभ, साहब सिंह, विशाल सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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