जौनपुरी राग धूम मचा रखी है भारतीय सिनेमा में

 शिराजे हिन्द की सरजमी जौनपुर की धरती को शर्की बादशाहों ने राजधानी बनाकर इसकी सीमा दूर दूर तक फैलाई थी और यहां दर्जना इमारतों का निर्माण भी कराया था। यह तो हर जगह आप को किताबों में मिल जायेगी। लेकिन के शर्की शासन के आखिरी सुल्तान  हुसेन शाह  ने जौनपुरी राग का इजात किया था यह संगीत के सम्राटों के अलावा किसी को शायद ही पता हों। आज भी जौनपुरी राग का इस्तेमाल हिन्दी फिल्मों में किया जा रहा हैं।
जौनपुर में एक मंच पर अपने आवाज का जादू विखेर रहा यह कलाकार जो गीत गुनगुना रहा है वह जौनपुरी राग है। इस राग का इजात आज से करीब छः सौ वर्ष  पूर्व जौनपुर के बादशाह हुसेन शाह ने किया था। शर्की शासन काल के समाप्त हुए छः वर्ष  बीत गये है लेकिन आज भी जौनपुरी राग भारतीय सिनेमा में पूरी तरह छाया हुआ हैं।
काजल फिल्म में आशा  भोंषले  द्वारा गाया गया तोरा मन दर्पण कहलाएं  स्वर्ण सुन्दरी फिल्म में कुहु कुहु बोले कोयलिया और मेरे हुजुर में फिलमाया गया झनक झनक बाजे तोरी पायलिया समेत अनगिनत फिल्मों जौनपुरी राग में गाने गाये गये हैं।
हुसेन शाह ने इस राग को पूरी दुनियां फैलाने के लिय कुछ डफालियों को पुरानी बाजार मोहल्ले बसाकर उन्हे टेªनिगं देकर पूरे देश में भेजा करते थें। जौनपुरी राग जहां फिल्मकार करते चले आ रहे हैं। वही गजल गायकों ने भी इस राग को अपनाया। पाकिस्तानी गजल सम्राट शाकीर भी करते आ रहे हैं। उनकी विश्व  विख्यात गजल कु ब कु फैल गयी बात सनासाई की उसने खु”बू की तरह मेरी पांजराई की में प्रयोग किया गया।
सुल्तान हुसेन शाह  ने जौनपुरी राग के अलावा एक किताब भी लिखी थी। हलांकि किताब का जिक्र केवल इतिहास के पन्नो पर ही दिखता हैं। अब जरूरत हैं। इस राग को बचाने की।

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