श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में बही भक्ति रस की धारा

जौनपुर। न कोई किसी को दुःख दे सकता है और न ही कोई किसी को सुख। सुख व दुःख मनुष्य अपने कर्मों से प्राप्त करता है तथा भगवान भी न किसी को बचाने और न ही किसी मारने आते हैं। प्रभु तो केवल धर्म की रक्षा के लिये भक्तों की करूण पुकार पर आते हैं और धर्म के विरूद्ध आचरण करने वाले को दण्डित करते हैं। उक्त विचार आचार्य डा. रजनीकान्त द्विवेदी ने श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के अन्तर्गत नगर के रासमण्डल में स्थित श्री जगन्नाथ मन्दिर में व्यक्त किया। उन्होंने बड़े मार्मिक ढंग से भगवान के जन्मों का वर्णन किया तथा यह कहा कि मनुष्य को चाहिये कि वह स्वांस-स्वांस पर भगवान का भजन करें, क्योंकि जो स्वांस शरीर से बाहर निकली है, वह पुनः प्राप्त होगी या नहीं। इसके पहले श्री द्विवेदी के अलावा आचार्य विजय शंकर पाठक व आचार्य सुदर्शन शास्त्री ने वेदी पूजन वैदिक परम्परा के आधार पर किया जहां मुख्य यजमान हरदेव सिंह, संजय गुप्ता सपत्नीक रहे। कथा में रथयात्रा समिति के अध्यक्ष शशांक सिंह, राज नारायण शुक्ल, मुख्य ट्रस्टी संतोष गुप्ता, दिनेश कपूर, शिवशंकर साहू, डा. प्रताप सिंह, जय सिंह, आशीष यादव, संजय पाठक, नीरज श्रीवास्तव, नीरज उपाध्याय, कुसुम राय, संध्या गुप्ता, मुरारी गुप्ता, गुलाब सिंह, आशीष गुप्ता, डा. सुबाष राय, भाष्कर पाठक, सन्तोष गुप्ता ठेकेदार सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। इस दौरान बताया गया कि 4 जुलाई को प्रातः भगवान श्री जगन्नाथ जी का पूजनोपरांत श्रीमद्भागवत कथा शाही खिचड़ी के भोग के साथ सम्पन्न होगा जिसके बाद सायं 4 बजे से रथयात्रा निकाली जायेगी। रथयात्रा मंदिर प्रांगण मानिक चौक से निकलकर सुतहट्टी बाजार, सब्जी मण्डी, कोतवाली चौराहा, चहारसू चौराहा, ओलन्दगंज, नखास, सद्भावना पुल, शाही किला, मानिक चौक होते हुये श्री जगन्नाथ मंदिर पहुंचकर समाप्त हो जायेगी।

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