कृषि को उद्योग का दर्जा देने की पहल
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जौनपुर- कृषि विभाग द्वारा आत्मा योजना अंतर्गत शनिवार को विकासखण्ड सभागार रामपुर एवं बरसठी मे रबी गोष्ठी का अयोजन किया गया। किसानो को सम्बोधित करते हुए डिप्टी पी0 डी0 आत्मा डा0 रमेश चंद्र यादव ने कहा कि अन्नम् बहु कुर्वीत तद्वतम, अन्न बाहुल्य करो व्रत है, यह एक अनुलंघनीय अनुशासन है, कृषि हमारे देश की संस्कृति एव किसान हमारे राष्ट्र की आत्मा है। देश की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड है कृषि। आज भी ग्रामीण क्षेत्र की 70% से ज्यादा लोगो की जीवकोपार्जन का मुख्य पेशा कृषि या उसके सम्बंधि क्षेत्र ही आते है। इस लिए जब तक कृषि क्षेत्र का विकास नही होगा तब तक देश के समस्त लोगो का विकास नही कर सकते है। कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सरकार दृढ संकल्पित है, किसानो की समृद्धि के लिये 28 फरवरी 2016 को पहली बार किसानो की आय 2022 तक दोगुनी करने की घोषणा की गयी, कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा लागत मूल्य की गणना कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम0एस0पी0) घोषित कर इस दिशा मे स्वामी नाथन कमेटी की न्यूनतम लागत सम्बंधी सिफारिशो को लागू किया गया। अब ग्रामीण कल्याण के उद्देश्य से सरकार ने तीन नये कृषि कानून बनाये है। 1- कृषि उपज व्यापार एव वाणिज्य(संवर्धन एव सरलीकरण) अधिनियम 2020- इस नये कानून के तहत किसानो को अपनी उपज बेचने की आजादी दी गयी है। वे उत्पादो को अधिकृत मंडियो के अतिरिक्त जिले,राज्य या देश मे किसी भी स्थान पर बेचने को स्वातंत्र होंगे। नये कानून से किसान सीधे व्यापारियो से जुड सकेंगे, उन्हे अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नही देना होगा और न ही न्यूनतम समर्थन मूल्य(एम0एस0पी0) की व्यावस्था खत्म होगी, न सरकारी खरीद बंद होगी और न ही कृषि उत्पाद बाजार समिति(मण्डिया) खत्म की जायेंगे। वहॉ व्यापार पूर्ववत चलता रहेगा। कृषक को जहा अछी कीमत मिले वहॉ अपना उत्पाद बेचकर उचित मूल्य प्राप्त कर सकते है। 2- कृषक (सशक्तीकरण एव संरक्षण) कीमत आस्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020- इस अधिनियम के तहत किसान फसल की बुआई से पूर्व भी किसी व्यापारी, एफ0पी0ओ0, कम्पनी,निर्यातक के साथ करार कर सकेगा। वह अपने उत्पाद का दाम फसल तैयार होने से पहले भी निर्धारित कर सकता है। बाजर मे उत्पाद का दाम कम हो तो भी करार के हिसाब से व्यापारी को भुगतान करना होगा। करार के बाद बाजार मे यदि दाम बढते है तो व्यापारी को न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ ही कुछ अतिरिक्त लाभ किसानो को देना होगा। इस कानून के कारण किसानो को अनिश्चितता को जोखिम नही उठाना होगा। करार के अनुसार किसान को उन्नति बीज, खाद, कृषि उपकरण और तकनीक उपलब्ध हो सकेगी। किसान और व्यापारी(कम्पनी) के बीच किसी भी प्रकार के विवाद के लिये उपजिलाधिकारी के स्तर पर 30 दिनो मे निपटारा करने की व्यवस्था की गयी है। नये कानून के अनुसार करार होने के बाद कृषि उत्पाद खरीदने के तीन दिनो के भीतर व्यापारी को किसान को भुगतान करना होगा। कम्पनियो एव व्यापारियो के इस क्षेत्र मे आने पर किसानो के सामने बहुत सारे विकल्प होंगे। व्यापारी खरीदे हुये उत्पादो यथा अनाज,फल,सब्जी इत्यादि को अच्छे दामो पर बेच सकेंगे। 3- आवश्यक वस्तु संसोधन अधिनियम 2020- इस नये कानून के तहत उत्पादो का वितरण, आपूर्ति, भडारण करने की स्वतंत्रता से बडे किसानो,व्यापारियो को जहा लाभ होगा,वही अर्थव्यस्था को भी प्रोत्साहन मिलेगा। पहले स्टॉक की सीमा होने से बडी कम्पनियॉ इस क्षेत्र मे निवेश करने से घबराती थी। इस कानून से क्षेत्र मे वेयरहाउस,कोल्ड्स्टोरेज, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आदि के आने से जहॉ किसानो को फायदा होगा, बुनियादी अवसंरचना मे इजाफा होगा वही ग्रामीण इलाको मे रोजगार के नये अवसर खुलेंगे। किसानो की आय को 2022 तक दोगुना करने का जो संकल्प है उसे पूरा करने के लिये इन नये किसान कानूनो का सही ढंग से क्रियान्वयन होना आवश्यक है। इस नये कृषि कानून से जहॉ ग्रामिणो को आर्थिक आजादी मिलने जा रही है, वही कृषि को उद्योग का दर्जा देने का मार्ग भी प्रशस्त होगा। गोष्टी की अध्यक्षता कर रहे खण्ड विकास अधिकारी राजीव सिंह कहा कि किसान कृषक उत्पादक संगठन(एफ0पी0ओ0) का गठन कर उद्यमी बन सकते है। उन्होने किसानो से अपील किया कि एपीडा मे पंजीकरण करा कर किसान अपने उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय मार्केट मे बिक्री कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है। इस मौके पर एडीओ एजी द्वय श्रवण कुमार उपाध्याय, मेवालाल यादव,तकनीकि सहायक जय प्रकाश गुप्ता, गुरू प्रसाद,बीटीएम प्रदीप वर्मा, बलविन्दर सिंह, प्यारेलाल, महन्थ दूबे आदि किसान मौजूद रहे।