बार्डर से आने वाले पशुओं को तत्परता से रोका जाय : D.M
उपचार के सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि इस बीमारी में लक्षणात्मक उपचार किया जाता है। 3 से 5 दिनों तक एण्टीबायोटिक दवाओं का प्रयोग एवं घाव पर एण्टीसेप्टिक स्प्रे एवं लोशन का प्रयोग किया जाता है। इस बीमारी के लक्षण समझ में आने पर निकटतम पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचित करें। पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग करें। सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव करें। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि बार्डर से आने वाले पशुओं को तत्परता से रोका जाय और इसकी मॉनिटरिंग उपजिलाधिकारी द्वारा किया जाय। उन्होंने कहा कि जोनल एवं सेक्टर अधिकारी की टीम का गठन किया जाय।
दवाओं के सम्बन्ध में उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया कि दवाओं की उपलब्धता बनी रहे। इस बीमारी से जागरूक करने के लिये सार्वजनिक स्थलों पर पोस्टर एवं बैनर के माध्यम से पशुपालकों को जागरूक किया जाय। मुख्य विकास अधिकारी साईं तेजा सीलम ने निर्देश दिया कि गोआश्रय स्थलों का निरीक्षण नियमित रूप से किया जाय और लक्षण पाये जाने पर निकटतम पशु चिकित्सालय एवं जनपद स्तरीय कंट्रोल रूम नम्बर 9454417117 पर अवगत करायें जिसकी सूचना पशुपालन विभाग के अधिकारी को दी जायेगी एवं पशुपालन विभाग की टीम द्वारा उपचार एवं सुरक्षात्मक कार्य किये जा सकेंगे।
पंचायती राज विभाग के अधिकारी को निर्देशित किया गया कि ग्राम स्तर से सूचना प्राप्त किया जाय एवं सूचना तत्परता से उपलब्ध कराई जाए जिससे इस पर रोकथाम की जा सके। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जनपद में अभी इस बीमारी के कोई पशु नहीं मिले हैं। बैठक में पुलिस अधीक्षक अजय साहनी, समस्त उपजिलाधिकारी, जिला विकास अधिकारी बीबी सिंह, जिला पंचायत राज अधिकारी, समस्त अधिशासी अधिकारी, प्रभागीय निदेशक वन विभाग, समस्त खण्ड विकास अधिकारी, समस्त पशु चिकित्सा अधिकारी उपस्थित रहे।