पत्रकारिता के मूल्यों व मानकों के गिरते स्तर को रोकें: उप्रेती

सुरेश गांधी/जितेन्द्र सिंह चौधरी

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने पत्रकारिता से जुड़े सभी हितधारकों से आत्मचिंतन करने और पत्रकारिता के गिरते मूल्यों और मानकों को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। इसके अलावा आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) को पत्रकारों के लिए खोजी पत्रकारिता की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम का उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार के काम में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करना है। साथ ही आरटीआई के दुरूपयोग पर भी चिंता जाहिर की।
श्री उप्रेती काशी पत्रकार संघ की ओर से पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित ‘संवाद’ कार्यक्रम के तहत ‘‘पत्रकारों का सक्षम सारथी आरटीआई’’ विषय पर विचार व्यक्त कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने ऐसे समय में निर्बाध और प्रामाणिक समाचार देने के महत्व पर प्रकाश डाला, जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरें, अर्धसत्य और गलत सूचनाएं आम होती जा रही हैं। उन्होंने कई उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि सूचना के अधिकार का उपयोग वर्तमान में बढ़ा है, लेकिन इसका और विस्तार होना चाहिए। पत्रकार जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रमाणित सूचना प्राप्त कर अपने समाचारों में धार दे सकते हैं। विगत 4.5 वर्षो में प्रदेश के उनके अधिकार क्षेत्र के 5 मंडल के जिलो में 2600 जन सूचना अधिकारियों पर अधिनियम के अंतर्गत सूचना उपलब्ध न कराये जाने पर लगभग 6 करोड़ रुपये का अर्थ दंड लगाया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि विवेचनाधिकारी का विशेषाधिकार होता है, फिर भी हमारी कुछ सीमाएं हैं। आरटीआई के तहत सूचनाएं देने में दक्षिण के राज्यों की स्थिति बेहतर है। इस अधिनियम के लागू होने से पहले संबंधित अधिकारी या विभाग सूचनाएं देने में हीलाहवाली करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस अधिनियम के सही ढंग से क्रियान्वित होने के चलते इसके उद्देश्य को प्राप्त करना अब सरल हो गया है। सूचनाएं देने में विभाग या अधिकारी कार्रवाई के डर से लापरवाही नहीं करते हैं। अब सूचनाएं शत-प्रतिशत लोगों को मांगने पर उपलब्ध करायी जा रही हैं। उन्होंने पत्रकारों की जिज्ञासाओं का निराकरण भी किया। उप्रेती ने समाचारों के संदर्भ में आरटीआई के अधिक से अधिक उपयोग के लिए पत्रकारों को प्रेरित किया। कहा कि आप सूचनाएं मांगें तो जवाब मिलेगा और इससे आपको खुशी का भी अनुभव होगा।
इस अवसर पर योगेश गुप्त, सुभाष चन्द्र सिंह, संघ के उपाध्यक्ष उमेश गुप्त, कोषाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी, शैलेश चौरसिया, चंदन रूपानी, कैलाश यादव, वाराणसी प्रेस क्लब के मंत्री विनय शंकर सिंह, कृष्ण बहादुर रावत, देव कुमार केशरी, विमलेश चतुर्वेदी, मुन्ना लाल साहनी, आशुतोष पाण्डेय, विजय शंकर गुप्ता सहित जिला सूचना अधिकारी सुरेन्द्र लाल, सूचना प्रभारी अनिल श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन संघ के अध्यक्ष डा अत्रि भारद्वाज एवं संचालन महामंत्री अखिलेश मिश्र ने किया।
उक्त संवाद में आयुक्त ने पत्रकारों को आरटीआई का इस्तेमाल अपनी रिपोर्टिंग में कैसे करें, के विषय में विस्तार से बताया। साथ ही कहा कि जब से जन सूचना अधिकार अधिनियम एक्ट आया है, तब से इसका उपयोग बड़े-बड़े घोटाले का पर्दाफाश करने में हुआ है। जैसे की आदर्श सोसाइटी घोटाला, 2जी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, बैंक ऋण घोटाला व इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी घोटाला आदि। काशी पत्रकार संघ के सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए राज्य सूचना आयुक्त अजय उत्प्रेती ने पत्रकारों को जन सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 18 एवं धारा 19 के अंतर के विषय में भी विस्तार से बताया। उन्होंने पत्रकारों को किस तरह से आरटीआई के अंतर्गत आवेदन करें व कितने शब्दों में आवेदन किया जाय, ताकि जन सूचना अधिकारी उनके आवेदनों को ठीक ढंग से समझ कर त्वरित गति से उनके उन्हें सूचना उपलब्ध करायें, आदि के संबंध में विस्तार से अवगत कराया। साथ ही बताया कि पिछले 4.5 वर्षों में उनके अधिकार क्षेत्र के के वाराणसी, अलीगढ़, फैजाबाद, देवीपाटन, चित्रकूट सहित 5 मंडल के 2600 जन सूचना अधिकारियों पर 6 करोड़ से अधिक धनराशि अर्थदंड के रूप में लगाया गया है।

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