परमात्मा में मिलने में सबसे ज्यादा बाधक अहंकार है
श्रीमद्भागवत के पांचवे दिन कथा वाचक पं. अखिलेश चंद्र मिश्र बोले
खेतासराय(जौनपुर) दृष्टि वही डालनी चाहिए जो दृष्टि का पात्र हो यदि कुपात्र सम्मुख आ जाय तो नेत्र बन्द कर लेना ही उचित होता है । अघासुर का उद्धार, यमलार्जुन उद्धार,चीर हरण एवं गोवर्धन पूजा के माध्यम से यह सिद्ध किया कि परमात्मा में मिलने में अगर कुछ बाधक है तो वह अहंकार है।
उक्त उद्बोधन कथा वाचक पं. अखिलेश चन्द्र मिश्र ने पोरईखुर्द के रामलीला मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन रस पान कराते हुए कही । उन्होंने पूतना की दृष्टि पड़ते ही भगवान के नेत्र बंद लेने के विषय मे विषतार से बताया । श्री मिश्र ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोतावर्ग को भाव विभोर कर दिया ।
शंकट भञ्जन, नामकरण,माखन चोरी आदि की लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि किस तरह मिट्टी खाने के बहाने गोविन्द ने अपनी मैया को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का दर्शन कराया ।
भगवान ने इंद्र का अभिमान दूरकर ब्रजवासियों को अपनी पूजा का फल प्राप्त कराया । मुख्य यजमान श्याम सुंदर पांडेय ने पूजन किया । संचालन संतोष कुमार सिंह ने किया ।
इस मौके पर प्रमुख रूप से वरिष्ठ पत्रकार डॉ कुंवर यशवन्त सिंह, भूपेश सिंह, प्रवीण सिंह, भानुप्रताप सिंह, वैभव सिंह, अजय मिश्र, प्रदीप मिश्र, गणेश यादव, महेश यादव, अवधेश सिंह, अरुण कुमार सिंह, बेले बिन्द, उदय प्रताप सिंह, दिनेश मिश्र, धर्मेंद्र मिश्र, कमला प्रसाद, ओमप्रकाश, सूबेदार समेत अन्य लोग शामिल रहे ।