जौनपुर। शहर की रसमंडल गली में रविवार को जब जगन्नाथ मंदिर हॉल के दरवाज़े खुले, तो एक उम्मीद ने भी भीतर कदम रखा। उम्मीद यह कि जब देश भर में नफरत की चटाई बिछाई जा रही हो, तब जौनपुर जैसे शहर से मोहब्बत की चादर फैलाई जाए।
इंस्टिट्यूट फॉर सोशल डेमोक्रेसी, दिल्ली (आईएसडी) और आज़ाद शिक्षा केंद्र, जौनपुर के सहयोग से आयोजित इस ईद मिलन कार्यक्रम में जब 130 से ज़्यादा लोग जुटे, तो सिर्फ़ त्यौहार नहीं मनाया गया, एक संदेश दिया गया, कि यह मुल्क इंसानियत से चलता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं मंजू शास्त्री ने बड़ी सहजता से कहा कि ईद सिर्फ मुसलमानों का त्योहार नहीं, यह इंसानियत का जश्न है। रोज़ा सिर्फ भूख नहीं, भूखों की तकलीफ़ समझने की सीख देता है। उनकी बातों में एक आग्रह भी था, धर्म, जाति, पहचान से ऊपर उठकर सोचने का आग्रह।
मंच संचालन कर रहे अब्दुल्ला फारुख ने सभी का स्वागत करते हुए जिस गर्मजोशी से लोगों को जोड़ा, वह आजकल मंचों से ग़ायब होती जा रही है। वहीं वक्ता संजय उपाध्याय ने होली और ईद के मेल को याद करते हुए कहा, भारत की ताकत उसकी विविधता है, और वही उसकी आत्मा भी है।
अकरम आज़मी, अब्दुल हक़, भारत प्रसाद अटल, चन्दन राय समेत अन्य वक्ताओं ने जब बात की, तो लगा जैसे हर ज़ुबान अपने-अपने शब्दों में एक ही बात कह रही हो, सौहार्द ज़िंदा है, और ज़िंदा रहेगा। आईएसडी के उत्तर प्रदेश समन्वयक अवधेश यादव ने शेरो-शायरी की ज़बान में सबको ईद की मुबारकबाद दी। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में जब मुशायरा और कवि गोष्ठी शुरू हुई, तो मंच सिर्फ़ मंच नहीं रहा, वह एक पुल बन गया, जो दिलों को जोड़ रहा था। कारी जिया जौनपुरी की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में अहमद अज़ीज़, मुनीस जौनपुरी, खदील असर, आरपी सोनकर, अमृत प्रकाश, अहमद जौनपुरी, प्रशांत जौनपुरी और मसीहा जौनपुरी की रचनाओं ने श्रोताओं को बांध लिया।
कार्यक्रम के अंत में आज़ाद शिक्षा केंद्र के प्रमुख निसार अहमद ने सबका आभार जताया। आईएसडी के अवधेश यादव, बिनू चौधरी, कुशाग्री श्रीवास्तव, और आज़ाद शिक्षा केंद्र के साथी सुफ़ियान खान, नौशाद की भूमिका सराहनीय रही। अंत में लोग यहां से संकल्प लेकर गए कि इस देश में एकता को बचाना है, और इसके लिए हर ईद, हर होली, हर मंच एक मौका है।
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