“लूट खसोट का अड्डा” बन गया है बयालसी महाविद्यालय: डॉ. हरेंद्र सिंह

बयालसी महाविद्यालय में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता का खुलासा, पूर्व विधायक ने उठाई प्रबंधन हटाने की मांग


संघर्ष समिति ने उठाई दोषियों पर कार्रवाई और कॉलेज में एकल संचालन की मांग

जौनपुर। बयालसी महाविद्यालय जलालपुर एक बार फिर गंभीर आरोपों की चपेट में आ गया है। पूर्व विधायक डॉ. हरेंद्र प्रताप सिंह ने रविवार सुबह पत्रकारों से बातचीत करते हुए कॉलेज प्रबंधन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने महाविद्यालय को “लूट खसोट का अड्डा” करार देते हुए आरोप लगाया कि वर्तमान प्रबंधक विजय प्रताप सिंह ने वर्ष 2014 में सपा शासन के दबाव में फर्जी तरीके से सदस्यता सूची बदलकर प्रबंधक का पद हथिया लिया, और तभी से कॉलेज के संसाधनों की बेतहाशा लूट की जा रही है।

डॉ. सिंह के अनुसार, कॉलेज की वर्तमान प्राचार्य डॉ. अलकेश्वरी सिंह ने जब से कार्यभार संभाला है, तभी से प्रबंधक द्वारा खाते से धन निकासी को लेकर उन पर दबाव बनाया जा रहा है। जब प्राचार्य ने कॉलेज के प्रबंधतंत्र के स्थानीय सदस्यों – प्रभुनाथ सिंह, विजय बहादुर सिंह और ओम प्रकाश सिंह – को इस भ्रष्टाचार से अवगत कराया, तो 22 जुलाई 2024 को हुई बैठक में जब प्रबंधक से पूछताछ की गई, तब उन्होंने अमर्यादित व्यवहार किया।

इसके विरोध में 4 अगस्त 2024 को महाविद्यालय परिसर में "बयालसी महाविद्यालय बचाओ संघर्ष समिति" के बैनर तले क्षेत्रीय नागरिकों और अभिभावकों ने उग्र प्रदर्शन किया। जनदबाव को देखते हुए प्रशासन ने 11 अगस्त 2024 को बिना जांच के प्रबंधन चुनाव न कराने की समिति की मांग मानते हुए चुनाव स्थगित कर दिया।

प्राचार्य डॉ. अलकेश्वरी सिंह ने इस गंभीर वित्तीय अनियमितता की लिखित शिकायत शासन से की। इसके आधार पर शिक्षा निदेशक ने शासन को आख्या भेजी और शासन ने अपने पत्र संख्या 579/सत्तर-06.2025 दिनांक 30 जुलाई 2024 के माध्यम से वित्त नियंत्रक से विशेष समपरिक्षण जांच कराने के निर्देश जारी किए।

जांच में खुलासा: 5.79 करोड़ रुपये की अनियमितता
21 अप्रैल 2025 को उच्च शिक्षा निदेशालय और वित्त नियंत्रक की संयुक्त समिति ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें यह स्पष्ट रूप से उजागर हुआ कि महाविद्यालय में ₹5,79,75,872 (पाँच करोड़ उन्यासी लाख पचहत्तर हजार आठ सौ बहत्तर रुपये) की वित्तीय अनियमितता, दुर्विनियोजन और व्यपवर्तन किया गया है। यह निष्कर्ष महाविद्यालय के बैंक अभिलेखों एवं कर्मचारियों के लिखित बयानों के आधार पर निकाला गया।

संयुक्त समिति ने उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा 57 व 58 के तहत कार्रवाई करते हुए शासन से कहा है कि यदि 15 दिनों के भीतर प्रबंध तंत्र सुसंगत साक्ष्यों के साथ जवाब प्रस्तुत नहीं करता, तो यह माना जाएगा कि उनके पास इस विषय में कुछ कहने को नहीं है।

भ्रष्टाचार के बीच ‘प्रबन्धक की पत्नी को प्रबन्धक बनाना’ सवालों के घेरे में
जांच प्रक्रिया के दौरान ही विवादित प्रबंधक विजय प्रताप सिंह ने महाविद्यालय परिसर के बाहर चुनाव कराकर अपनी पत्नी चन्दा सिंह को नया प्रबंधक घोषित करवा लिया, और अनुमोदन भी प्राप्त कर लिया। इस कदम को बायपास प्रक्रिया बताते हुए क्षेत्रीय नागरिकों और संघर्ष समिति ने इस पर कड़ा ऐतराज़ जताया है।

संघर्ष समिति की माँगें
"बयालसी महाविद्यालय बचाओ संघर्ष समिति" ने शासन से स्पष्ट रूप से मांग की है कि:

  1. जब तक धारा 57 एवं 58 के तहत कार्रवाई प्रचलन में है, तब तक विजय प्रताप सिंह एवं चन्दा सिंह के प्रबंध तंत्र का अनुमोदन तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।
  2. महाविद्यालय परिसर में प्रबंध तंत्र के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
  3. महाविद्यालय का संचालन एकल व्यवस्था के अंतर्गत किया जाए, जिससे शैक्षणिक माहौल सामान्य बना रहे।

संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि शासन इस दिशा में शीघ्र और सख्त कदम नहीं उठाता, तो क्षेत्रीय नागरिक धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।

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