संदीप और मोनी की प्रेम कहानी बनी मिसाल, अंततः अंतरजातीय विवाह में बदला रिश्ता
परिजनों की रज़ामंदी और समाजसेवियों की पहल से निषादराज मंदिर में संपन्न हुआ विवाह
जौनपुर। सच्चा प्रेम कभी हारता नहीं, देर से ही सही—but मंज़िल जरूर मिलती है।ऐसी ही एक सच्ची प्रेम कहानी को अंजाम मिला जब खासनपुर निवासी संदीप सेठ और जोगियापुर की मोनी निषाद ने तमाम सामाजिक बंदिशों और विरोध के बाद प्यार को जीत दिलाते हुए विवाह बंधन में बंधने का सपना साकार कर लिया।
दोनों के बीच वर्षों से प्रेम था। उन्होंने जीवनभर साथ निभाने की कसमें खाईं, लेकिन जातिगत भेदभाव और पारिवारिक असहमति के चलते उनका रिश्ता अटका रहा। जहां कई प्रेम कहानियां इन्हीं बंधनों में दम तोड़ देती हैं, वहीं संदीप और मोनी ने हार नहीं मानी।
समाजसेवियों ने निभाई 'कपल' की कहानी में 'पुल' की भूमिका
इस रिश्ते को मुकाम तक पहुंचाने में समाजसेवी धर्मेंद्र निषाद, रामकृष्ण बाबा, ननकू रामराज, जेपी निषाद, मनोज नगर, नीरज निषाद और अन्य शुभचिंतकों ने अहम भूमिका निभाई। इन्होंने वर्षभर चले इस संघर्ष को संवाद और समझदारी से सकारात्मक दिशा दी और दोनों परिवारों को रज़ामंद कर एक सुंदर प्रेम कहानी को शादी में तब्दील कर दिया।
निषादराज मंदिर बना साक्षी, जहां प्रेम ने पहनी विवाह की माला
अंततः संदीप और मोनी का धार्मिक रीति-रिवाज से विवाह जोगियापुर स्थित भगवान निषादराज मंदिर में संपन्न हुआ। इस मौके पर दोनों परिवारों के सदस्य, रिश्तेदार और समाजसेवी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
वर पक्ष से मदन सेठ, सोनी सेठ, पिंटू सेठ, चिंटू सेठ, जबकि वधू पक्ष से मोनी की माता अमरावती देवी, भाई कल्लू और अन्य परिजन शामिल हुए।
विवाह में शामिल सभी लोगों ने इस प्रेम-विवाह को शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया। शादी के बाद मंदिर परिसर में खुशी और भावनाओं का संगम देखने को मिला।
“प्रेम सम्मान चाहता है, डर नहीं” – धर्मेंद्र निषाद
समाजसेवी धर्मेंद्र निषाद ने कहा, "जब दो लोग एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और जिंदगी साथ बिताना चाहते हैं, तो समाज को उनका साथ देना चाहिए, डर नहीं दिखाना चाहिए। संदीप और मोनी की शादी इस बात का प्रतीक है कि अब समाज में प्रेम की ही जीत हो रही है।"
प्रेम, संघर्ष और अंततः विजय
संदीप और मोनी की कहानी सिर्फ एक शादी नहीं, बल्कि एक प्रेम गाथा है, जिसमें संघर्ष था, विरोध था, मगर अंत में सच्चाई, समझ और समर्पण की जीत हुई।
यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने प्यार को खोने के डर से चुप हो जाते हैं।
संदेश साफ है: अगर प्यार सच्चा हो, तो समाज भी झुकता है और वक्त भी साथ देता है, क्योंकि अंततः—प्रेम की ही जीत होती है।