जौनपुर। मां शीतला चौकियां धाम में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि यानि हरछठ कान्हा के बड़े भाई और शेषावतार माने जाने वाले भगवान बलराम का विधि विधान पूजन कर महिलाओं ने संतान के सुख समृद्धि सौभाग्य की कामना की। हिंदू धर्म सनातन परंपरा के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की छठवीं तिथि का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की जयंती और ललही छठ का पर्व मनाया गया। ललही हरछठ का व्रत संतान की लंबी और परिवार की सुख-शांति और समृद्धि धन यस वैभव की कामना लिए रखा जाता है।शीतला चौकियां धाम मन्दिर के बगल में स्थित पवित्र कुण्ड के बगल में भारी संख्या में पहुंची स्थानीय महिलाएं हलषष्ठी पूजन के दिन इस व्रत पूजन को विधि-विधान संकल्प करने के पश्चात जुड़ी पूजन सामग्री जैसे पलाश की टहनी, कुशा, छह प्रकार के अनाज जैसे गेंहू, चना, धान, जौ, अरहर, मक्का, मूंग, महुआ, पुष्प, फल, आदि इकट्ठा कर गणेश-गौरी, कलश आदि रखकर उनकी विधि-विधान से पूजन किया। पूजन के पूर्व फूल माला दूध मिट्टी के कुल्हड़ में महुआ पूजन सामग्री के साथ छठी माता की विधिवत कथा करती नजर आई।पूजन के अंत में छठी माता और गणेश गौरी की आरती करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद की मंगलकामना की। मान्यता के अनुसार हरछठ के दिन ही शेषावतार माने जाने वाले भगवान बलराम का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन उनकी विधि-विधान से पूजा करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने पर बलदाऊ पूरे साल संतान की रक्षा करते हुए सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
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गुरुवार, 14 अगस्त 2025
संतान की लम्बी आयु के लिये महिलाओं ने किया हरछठ का व्रत पूजन
जौनपुर। मां शीतला चौकियां धाम में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि यानि हरछठ कान्हा के बड़े भाई और शेषावतार माने जाने वाले भगवान बलराम का विधि विधान पूजन कर महिलाओं ने संतान के सुख समृद्धि सौभाग्य की कामना की। हिंदू धर्म सनातन परंपरा के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की छठवीं तिथि का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की जयंती और ललही छठ का पर्व मनाया गया। ललही हरछठ का व्रत संतान की लंबी और परिवार की सुख-शांति और समृद्धि धन यस वैभव की कामना लिए रखा जाता है।शीतला चौकियां धाम मन्दिर के बगल में स्थित पवित्र कुण्ड के बगल में भारी संख्या में पहुंची स्थानीय महिलाएं हलषष्ठी पूजन के दिन इस व्रत पूजन को विधि-विधान संकल्प करने के पश्चात जुड़ी पूजन सामग्री जैसे पलाश की टहनी, कुशा, छह प्रकार के अनाज जैसे गेंहू, चना, धान, जौ, अरहर, मक्का, मूंग, महुआ, पुष्प, फल, आदि इकट्ठा कर गणेश-गौरी, कलश आदि रखकर उनकी विधि-विधान से पूजन किया। पूजन के पूर्व फूल माला दूध मिट्टी के कुल्हड़ में महुआ पूजन सामग्री के साथ छठी माता की विधिवत कथा करती नजर आई।पूजन के अंत में छठी माता और गणेश गौरी की आरती करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद की मंगलकामना की। मान्यता के अनुसार हरछठ के दिन ही शेषावतार माने जाने वाले भगवान बलराम का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन उनकी विधि-विधान से पूजा करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने पर बलदाऊ पूरे साल संतान की रक्षा करते हुए सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
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