नींद से जागो
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सूली चढ़कर शहीद भगत ने दुनिया को ललकारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमों सारा देश तुम्हारा है.
जीवनभर जो वस्त्र बनाया फटी बहन की साड़ी है,
सारी उम्र जो बैठ के खाया उसकी बंगला गाड़ी है.
जो काम करे वो रोटी खाए यही हमारा नारा है.
नींद से जागो ऐ मज़लूमों सारा देश तुम्हारा है.
नदी का सीना चीरके तुमने उर्जा बांध बनाया है,
अपनी मेहनत का फल तुमने कितना अच्छा पाया है.
उनके महल में रात भी दिन है तेरा घर अँधियारा है.
नींद से जागो ऐ मज़लूमों सारा देश तुम्हारा है.
खाल पहन कर इंसानों की चेहरा वही दिखाते हैं,
मखमल का है बिस्तर उनका सोना चाँदी खाते हैं.
भूख-गरीबी और अशिक्षा हिस्सा यही तुम्हारा है.
नींद से जागो ऐ मज़लूमों सारा देश तुम्हारा है.
इन्कलाब के नारे को हम मंजिल तक ले जायेंगे,
भूख से मरने से अच्छा है जालिम से टकरायेंगे.
गुरबत ने अब कफ़न बांधकर दौलत को ललकारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमों सारा देश तुम्हारा है.
समाजवाद के परचम को हम दुनिया में लहरायेंगे,
अपने हिस्से की रोटी को छीन के उनसे खायेंगे.
ताज यही है चाहत अपनी सपना यही हमारा है,
नींद से जागो ऐ मज़लूमों सारा देश तुम्हारा है.
प्रस्तुतकर्ता
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aaj ham sab ko jagne ki jroorat hai varna kab jagenge.....
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