अतिक्रमण की चपेट में शहर, नासूर बना जाम
http://www.shirazehind.com/2014/05/blog-post_3752.html
जौनपुर: नगर की सड़कें अतिक्रमण की चपेट में हैं। वाहनों के चलने वाले स्थान पर दुकानें सजाई जा रही हैं, व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही और प्रशासन पूरी तरह से आंख मूंदे पड़ा है। यहां सब कुछ 'अंधेर नगरी चौपट राजा' की तर्ज पर चल रहा। मतलब हर तरफ दुर्व्यवस्था और उसे महसूस कर निजात दिलाने वाले जिम्मेदार पूरी तरह निष्क्रिय। कर्तव्य के प्रति जिम्मेदार लोग सिर्फ नौकरी कर रहे हैं। वह भी पूरी शानो शौकत के साथ।
जिनके कंधों पर प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी है, उन्हें एक नजर शहर की तंग हाल सड़कों पर डालनी चाहिए। यहां की बदहाल स्थिति पर गौर करना चाहिए। लेकिन उन्हें कहीं भी न तो सड़कों पर अतिक्रमण दिखाई पड़ता है, न ही जाम का झंझावात। इस दुर्दशा पर एक नजर डालें तो यहां सड़कों पर प्रशासन की निष्क्रियता का परिणाम खुले आम दिखाई पड़ता है। कचहरी मार्ग, ओलंदगंज में सड़कों पर दुकानों के सामान सजाकर रख दिए जाते हैं। यहीं से सड़क की चौड़ाई कम हो जाती है। इसके बाद फिर नंबर आता है बेतरतीब वाहनों का। जो सड़क की पटरियों के अंदर सड़क के मुख्य हिस्से में ही खड़े दिखाई पड़ते हैं। ऐसे में चार पहिया वाहन किसी तरह से निकल तो सकते हैं, ंिकंतु दूसरी दिशा से भी वाहनों का आना स्वाभाविक है। ऐसी हालत में दो वाहन क्रास होने में पूरी फजीहत हो जाती है, फिर पीछे वाहनों की कतार लग जाती है। सुबह होते ही ऐसा नजारा रोज दिखाई पड़ता है, जो रात 8 बजे तक देखा जा सकता है। शहर में यातायात का मजमून कुछ ऐसा ही है। यदि 15 सालों से यह समस्या बदस्तूर कायम है तो क्या प्रशासन अब तक इसे जान नहीं पाया। यदि जानता है तो फिर निदान क्यों नहीं कर पाया। एक जिम्मेदार अधिकारी तो यहां तक बोल पड़े कि अभी हमारे स्तर से इसके निबटारे के लिए कोई उपाय ही नहीं किए गए। महोदय! ये बड़ी हास्यास्पद स्थिति है, यह प्रशासन की लाचारी और गैर जिम्मेदारी को उजागर करता है, जिसका दंश झेलने को विवश हैं शहर के लोग।