आ गया जमैथे वाला खरबूजा , आप भी चखिए स्वाद
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इस मौसम की चिलचिलाती धूप और गर्मी भले ही आपको ना अच्छी लगती हो लेकिन इसी मौसम की रसदार फसलें जैसे तरबुज खरबूज ककड खीरा के नाम से ही आपके दिमाग को ठंडक और गले को तरावट मिल जाती है। जौनपुर का विश्वप्रसिद्ध जमैथा का खरबूजा इन्ही मौसमी फलों मे से एक है जिसकी मांग देश के अनेक प्रदेश मे है।
जौनपुर मे गोमती नदी के किनारे बसा जमैथा गांव वैसे तो सामान्य सा लगता है लेकिन सुबह की पहली किरन के साथ जो हलचल पैदा होती है वह पुरे गांव को मीठी भीनी खुशबु से सराबोर कर देती है जी हां। जमैथा के खरबूज पूरे भारत मे प्रसिद्ध हैं। सुबह खरबूज की खेतों से ताड़ाई से लेकर सिर पर खरबूजो से भरी टोकरियां लिये बच्चे ,बूढे, जवान और महिलाओं की लम्बी लाईन आपको पूरे माह मे नदी पार कर मण्डी की ओर जाती दिखायी देगी। सदियों से जमैथा का हर किसान अपने खेतों में कड़ी मेहनत करता है । खरबुज की फसल तैयार होना इस गांव के लिये किसी उत्सव से कम नहीं होता तभी तो घर का बच्चा छोटी टोकरियो में खरबूज भरकर मंडी की ओर निकल पड़ता है। किसान कम समय में तैयार होने वाली इस फसल से दो फसलों के बराबर की कमाई करते हैं। मण्डी के व्यापार भी काफी खुश हैं। आसपास के जिलों व्यापारी इन खरबूजों को देश के बड़े शहरों को भेजते हैं।
जौनपुर मे गोमती नदी के किनारे बसा जमैथा गांव वैसे तो सामान्य सा लगता है लेकिन सुबह की पहली किरन के साथ जो हलचल पैदा होती है वह पुरे गांव को मीठी भीनी खुशबु से सराबोर कर देती है जी हां। जमैथा के खरबूज पूरे भारत मे प्रसिद्ध हैं। सुबह खरबूज की खेतों से ताड़ाई से लेकर सिर पर खरबूजो से भरी टोकरियां लिये बच्चे ,बूढे, जवान और महिलाओं की लम्बी लाईन आपको पूरे माह मे नदी पार कर मण्डी की ओर जाती दिखायी देगी। सदियों से जमैथा का हर किसान अपने खेतों में कड़ी मेहनत करता है । खरबुज की फसल तैयार होना इस गांव के लिये किसी उत्सव से कम नहीं होता तभी तो घर का बच्चा छोटी टोकरियो में खरबूज भरकर मंडी की ओर निकल पड़ता है। किसान कम समय में तैयार होने वाली इस फसल से दो फसलों के बराबर की कमाई करते हैं। मण्डी के व्यापार भी काफी खुश हैं। आसपास के जिलों व्यापारी इन खरबूजों को देश के बड़े शहरों को भेजते हैं।