लक्ष्मी वहीं स्थायी होती हैं जहां पुण्य व देव बल का आधार होता हैः स्वामी चेतनानन्द
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जौनपुर।
नगर के रूहट्टा स्थित शाश्वत वाटिका में आयोजित तीन दिवसीय धार्मिक
अनुष्ठान का बीती रात समापन हो गया। यह अनुष्ठान बगलामुखी शक्तियुक्त 108
कुण्डीय श्रीमाता शीतला महालक्ष्मी महायज्ञ के नाम से रहा जिसके सैकड़ों
भक्त साक्षी बने। मां बगलामुखी शक्तिपीठ मुम्बई के तत्वावधान में आयोजित इस
महायज्ञ के अंतिम दिन के प्रथम चरण में गुरू गीता से हवन हुआ। मां
बगलामुखी, माता लक्ष्मी की मंत्रों से हवन कराया गया जहां उपस्थित लोगों के
बीच स्वामी दिव्य चेतनानन्द जी महाराज ने बताया कि क्या करके हम लक्ष्मी
को स्थायी बना सकते हैं। लक्ष्मी पुण्य के अधीन हैं। लक्ष्मी वहीं स्थायी
रहती हैं जहां पुण्य और देव बल का आधार होता है परन्तु लक्ष्मी के स्थायी
होने में आने वाली बाधाओं को हटाने वाले देवता श्री गणेश हैं, इसलिये किसी
भी पूजन से पूर्व गणेश जी को प्रसन्न करना आवश्यक है। स्वामी जी ने बताया
कि किस विधि से क्या करके देवता को प्रसन्न किया जा सकता है। यही विधि या
प्रक्रिया तंत्र कही जाती है। अर्थात् तंत्र का अर्थ तरीका है न कि जो आज
समाज में तंत्र के नाम पर व्याप्त है। कार्यक्रम के दूसरे चरण का हवन सायं 4
बजे से शुरू हुआ जहां उपस्थित लोगों से बगलामुखी, कालभैरव, शीतला व शीतला
के 108 नामों से आहुति करायी गयी। साथ ही संध्याकालीन प्रवचन में स्वामी जी
ने लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक अन्य माध्यम श्री हरि विष्णु को भी
बताया। उन्होंने उपस्थित लोगांे सहित पूरे समाज से कहा कि जब धरती पर धर्म
की हानि होती है तो असुर बल बढ़ जाता है। यही कारण है कि वर्तमान में
सम्पूर्ण संसार में मार-काट, आगजनी आदि फैली हुई हैं। कार्यक्रम की
पूर्णाहुति रात सवा 9 बजे हुई जहां भारी संख्या में महिला, पुरूष, युवा,
बुढ़े आदि ने हवन-यज्ञ में शामिल हुये। इसके बाद भण्डारे का आयोजन हुआ जहां
हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रदीप
सिंह साईं, रमेश सिंह, विजय गुप्ता, विजय लोहा, श्याम चन्द्र अग्रहरि,
प्रमोद साहू, राजनाथ गुप्ता, राजेन्द्र गुप्ता, पूर्व चेयरमैन दिनेश टण्डन,
एके सिंह के अलावा तमाम लोगों का सहयोग सराहनीय रहा। पूरे कार्यक्रम का
संचालन सुशील वर्मा एडवोकेट ने किया।