बंद रहे मंदिरो के कपाट
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जौनपुर। शनिवार की रात 10.30 बजे से सूर्यग्रहण के सूतक काल के शुरू होने से कुछ मंदिरों के कपाट बंद हो गए। इस दौरान रविवार को दोपहर तीन बजे तक सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे। ग्रहण के मोक्ष होने पर 3.04 बजे के बाद मंदिरों के कपाट खुले और पूजन-अर्चन हुआ। ग्रहण काल में जहां पुजारी मंदिरों के बाहर बैठकर जप करते रहे वहीं श्रद्धालु घरों में।
इस साल का यह एकमात्र ग्रहण रहा जो भारत में दिखा। यह सुबह 9.14 से लगा जो दोपहर 3.04 बजे समाप्त हुआ। ग्रहण की स्थिति देखने को लोग दिनभर घरों में टीवी से चिपके रहे। योग दिवस होने के कारण लोगों ने सुबह अपने घरों में ही योगाभ्यास किया। इसके बाद ग्रहण के समय अन्न ग्रहण न करने की धार्मिक मान्यता के कारण लोगों ने पहले ही नाश्ता किया। सुतक लगने के कारण मंदिरों के कपाट बंद रहे। ग्रहण काल में लोग भगवान का नाम जपते रहे। बाजारों में इस दौरान किसी भी तरह की खरीदारी नहीं हुई। प्राय: लोग यात्रा करने से बचते रहे। शीतला चौकिया धाम में मंदिर का कपाट सूर्यग्रहण में बंद रहा। मंदिर के पुजारी शिव कुमार पंडा ने सुबह मां की आरती के बाद मंदिर का कपाट बंद कर दिया। इस दौरान दर्शन-पूजन पूरी तरह से बंद रहा। पंडित त्रिभुवननाथ त्रिपाठी ने बताया कि सुबह 9.14 बजे सूर्यग्रहण लगा है जो दोपहर 3.04 बजे समाप्त हुआ। इसके बाद मां की आरती के साथ मंदिर का कपाट पुन: दर्शन पूजन के लिए खोल दिया गया।
इस साल का यह एकमात्र ग्रहण रहा जो भारत में दिखा। यह सुबह 9.14 से लगा जो दोपहर 3.04 बजे समाप्त हुआ। ग्रहण की स्थिति देखने को लोग दिनभर घरों में टीवी से चिपके रहे। योग दिवस होने के कारण लोगों ने सुबह अपने घरों में ही योगाभ्यास किया। इसके बाद ग्रहण के समय अन्न ग्रहण न करने की धार्मिक मान्यता के कारण लोगों ने पहले ही नाश्ता किया। सुतक लगने के कारण मंदिरों के कपाट बंद रहे। ग्रहण काल में लोग भगवान का नाम जपते रहे। बाजारों में इस दौरान किसी भी तरह की खरीदारी नहीं हुई। प्राय: लोग यात्रा करने से बचते रहे। शीतला चौकिया धाम में मंदिर का कपाट सूर्यग्रहण में बंद रहा। मंदिर के पुजारी शिव कुमार पंडा ने सुबह मां की आरती के बाद मंदिर का कपाट बंद कर दिया। इस दौरान दर्शन-पूजन पूरी तरह से बंद रहा। पंडित त्रिभुवननाथ त्रिपाठी ने बताया कि सुबह 9.14 बजे सूर्यग्रहण लगा है जो दोपहर 3.04 बजे समाप्त हुआ। इसके बाद मां की आरती के साथ मंदिर का कपाट पुन: दर्शन पूजन के लिए खोल दिया गया।