मैं भी भूखा न रहूं साधु न भूखा जाय

 

चौकियां धाम, जौनपुर। पूर्वांचल की आस्था का केंद्र शीतला चौकियां धाम में चल रहे श्रीराम कथा प्रवचन के तीसरे दिन कथावाचक सीतारमण शरण जी महाराज ने शबरी की नवधा भक्ति प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि प्रथम भक्ति है संत सत्संग। श्रेष्ठजनों के जिस सत्संग से जड़ता, मूढ़ मान्यताएं टूटती हैं वह सत्संग सर्वोच्च कोटि का होता है। संत वे होते हैं जिनके पास बैठने पर हमारे अंतःकरण में ईश्वर के प्रति ललक-जिज्ञासा पैदा होती है। दूसरी भक्ति यानी दूसरी रति है। मम कथा प्रसंगा। भक्ति साधना का सबसे सुलभ मार्ग है। मन को भगवान के स्वरूप में लीन करने की इसमें जबर्दस्त शक्ति है। इसीलिये श्रीरामचरित मानस जन सामान्य में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं। तीसरी भक्ति है अभिमान रहित होकर गुरु के चरण कमलों की सेवा। चौथी भक्ति है छल कपट छोड़कर भगवद् संकीर्तन करना। पांचवीं भक्ति है दृढ़विश्वास के साथ भगवान का मंत्रजप। मंत्र का माहात्म्य समझकर भावपूर्वक परमात्मा सत्ता में गहन विश्वास रख जब जप किया जाता है। ईश्वर को संबोधित निवेदन ही मंत्र है। छठी भक्ति है संयम सधते ही शरीर स्वयंमेव सध जाता है। नवधा भक्ति में सातवीं भक्ति है विश्व के प्रत्येक जीव व घटक को परमात्म भाव से देखना। आठवीं भक्ति है यथा लाभ संतोषा। सपनेहुं नहिं देखहिं परदोषा। यानी जो कुछ मिल जाए जीवन में उसी में संतोष करना चाहिये। इसीलिए कबीरदास जी कहते हैं साईं इतना दीजिए जामे कुटुम्ब समाय। मैं भी भूखा न रहूं साधु न भूखा जाय। नवधा भक्ति का अंतिम सोपान है सरलता। नौ दिवसीय श्रीराम कथा प्रतिदिन सायं 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक हो रही है। इस अवसर पर प्रमोद मोदनवाल, विकास मोदनवाल, विशाल तिवारी, सुधीर दत्त तिवारी, शिवासरे गिरी, मदन गुप्ता, शशांक, गौरव तिवारी, सरदार जितेन्द्र सिंह, गोपाल साहू, गणेश गुप्ता, एक्टर आशीष माली, सुरेंद्र गिरी, प्रदीप तिवारी, राधारमण तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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